शिमला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने फोरेंसिक विज्ञान विभाग हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, उत्तरी रेंज, धर्मशाला के सहयोग से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आयोजित डिजिटल अपराध और फोरेंसिक में उभरते नये आयामों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में प्रौद्योगिकी आज विश्व को प्रभावित कर रही है और हम भी इससे अछूते नहीं हैं। लेकिन, पिछले कुछ दशकों में हमने इस दिशा में अच्छे प्रयास किए हैं और कई उपलब्धियां हासिल की हैं।
उन्होंने तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर बल देते हुए कहा कि हम विज्ञान और तकनीक का उपयोग किस रूप में कर रहे हैं और कितना करना है, इस पर विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में साइबर अपराध शारीरिक अपराध तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि डिजिटल अपराध जीवन का हिस्सा बन गया है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध सभी अपराधों का स्रोत बन गया है, इसलिए हमें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि आज तकनीक सभी के लिए सुलभ है और इसका प्रभाव हम सभी पर पड़ रहा है। हमें इसका सार्थक उपयोग करना तथा इसके दुष्परिणामों से बचने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध की जांच के लिए एक बड़ी राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य का सीमा क्षेत्र विस्तृत है और हम इन क्षेत्रों में भी इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सीमा पार गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए इन क्षेत्रों से लगते गांवों में इसका उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह हम ज्ञान और तकनीक का उचित दिशा में उपयोग कर सकते हैं।
आर्लेकर ने कहा कि इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में आने वाले सुझावों और शोध पत्रों को संकलित कर भारत सरकार को भेजा जाना चाहिए ताकि इस दिशा में उभरते वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की मेहनत का लाभ मिल सके।
इससे पूर्व राज्यपाल ने फोरेंसिक विज्ञान से संबंधित विभिन्न पत्रिकाओं का विमोचन भी किया। राज्यपाल की उपस्थिति में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला और मेसर्ज नेक्सटेक्नो जनरल प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य उच्च कौशल मानव संसाधन की एक नई पीढ़ी के निर्माण के लिए प्रस्तावित सहयोग के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के अलावा रोजगार और आर्थिक विकास के लिए पूरी तरह से नए अवसर प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, एनटीजीपीएल और राज्य को इन उभरती प्रौद्योगिकियों में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में मदद मिलगी तथा विशेष रूप से डिजिटल फोरेंसिक और साइबर जांच में प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित हो सकेगा। दोनों संस्थानों के बीच अनुभव और वैज्ञानिक/तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान उनकी पारस्परिक प्रगति और समाज की सेवा के लिए भी बहुत रुचिकर होगा।
वैज्ञानिक और मानक परीक्षण एवं गुणवत्ता प्रमाणन (एसटीक्यूसी) के निदेशक वी.के. त्रिवेदी ने कहा कि वर्तमान दौर डिजिटल युग का है और इसके बिना हम अपने अस्तित्व के बारे में सोच भी नहीं सकते। उन्होंने कहा कि इसके दृष्टिगत भारत डिजिटल प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है और देश विभिन्न पहलों के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने फोरेंसिक साइंस के विभिन्न पहलुओं पर भी विस्तार से जानकारी दी।
फ्लोरिडा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, यूएसए के कंप्यूटिंग एवं सूचना विज्ञान के नाइट फाउंडेशन स्कूल के प्रोफेसर डॉ. लतेश कुमार ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के प्रति कुलपति प्रो ज्योति प्रकाश शर्मा, ने कहा कि विश्वविद्यालय को नैक टीम द्वारा ए-ग्रेड घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिBए कई पहलें की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि समय-समय पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई सेमिनार और सम्मेलन आयोजित किए गए हैं, जिससे शोधकर्ताओं और विद्वानों के ज्ञान को अद्यतन करने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि हमारी शोध की परंपरा बहुत प्राचीन है और इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान का लक्ष्य मानव कल्याण होना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के फोरेंसिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष और प्लानिंग एंड टीचर्स मैटर्स के डीन प्रो अरविंद कुमार भट्ट ने इस अवसर पर राज्यपाल का स्वागत किया और कहा कि फोरेंसिक विज्ञान विभाग वर्ष 2021 में स्थापित किया गया है।