दिनांक – 19 जुलाई 2022
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत – 1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – षष्टी सुबह 07:49 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – उत्तर भाद्रपद दोपहर 12:12 तक तत्पश्चात रेवती
योग – अतिगण्ड दोपहर 01:44 तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहु काल – शाम 04:06 से 05:47 तक
सूर्योदय – 06:05
सूर्यास्त – 07:27
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 04:40 से 05:22 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:25 से 01:07 तक
विशेष –
षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है।
आपत्तिनिवारण के लिए ‘शिवसूत्र’ मंत्र
जिस समय आपत्तियाँ आ धमकें, उस समय भगवान शिव के डमरू से प्राप्त १४ सूत्रों को अर्थात् ‘शिवसूत्र’ मंत्र को एक श्वास में बोलने का अभ्यास करके इसका एक माला (१०८ बार) जप प्रतिदिन करें । कैसा भी कठिन कार्य हो, इससे शीघ्र सिद्धि प्राप्ति होती है।
‘शिवसूत्र’ मंत्र इस प्रकार है-*
अइउण, ॠलृक्, एओड़्, ऐऔच्, हयवरट्, लण्, ञमड़णनम्, झभञ्, घढधश्, जबगडदश्, खफछठथ, चटतव्, कपय्, शषसर्, हल् ।
इसी मंत्र के अन्य प्रयोग निम्नानुसार है-
⚛️१. बिच्छू के काटने पर इन सूत्रों से झाड़ने पर विष उतर जाता है ।
⚛️२. जिस व्यक्ति में प्रेत का प्रवेश आया हो, उस पर उपरोक्त सूत्रों से अभिमंत्रित जल के छीटें मारने से प्रवेश छूट जाता है तथा इन्हीं सूत्रों को भोजपत्र पर लिख कर गले मे बाँधने से अथवा बाजू पर बाँधने से प्रेतबाधा दूर हो जाती है ।
३. ज्वर, तिजारी (ठंड लगकर तीसरे दिन आनेवाला ज्वर), चौथिया (हर चौथे दिन आनेवाला ज्वर) आदि में इन सूत्रों द्वारा झाड़ने-फूँकने से ज्वर उतर जाता है । अथवा इन्हें पीपल के एक बड़े पत्ते पर लिखकर गले या हाथ पर बाँधने से भी ज्वर उतर जाते हैं ।
क४. मिर्गी(अपस्मार) होने पर भी इन सूत्रों से झाड़ना चाहिए तथा अभिमंत्रित जल प्रतिदिन पिलाना चाहिए।
मासिक के दिनों में ये सावधानी रहें
मासिक के दिनों में जो माता..बहन, अपने हाथ से आटा गूंधती है, भोजन बनाती है, बेटे को, पति को, परिवार को भोजन बना के खिलाती है। वो उनकी बुद्धि को कुंठित करती है । इन से उनकी बुद्धि का विकास रुक जाता है।
डरपोक हो जाएंगे,दब्बू हो जायेंगे । मासिक के दिनों में अपने हाथ से भोजन बनाकर नहीं खिलाना चाहिए ।
मासिक धर्म में मंदिर में भी नहीं जाना चाहिए। गुरु के पास भी नहीं जाना चाहिए और पति को, बच्चों को व पुत्र को स्पर्श नहीं करना चाहिए ।