दिनांक – 17 सितम्बर 2022
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – अश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार भाद्रपद)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – सप्तमी दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र – रोहिणी दोपहर 12:21तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग – सिद्धि पूर्ण रात्री तक
राहुकाल – सुबह 09:30 से सुबह 11:01 तक
सूर्योदय – 06:27
सूर्यास्त – 18:38
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – महालक्ष्मी व्रत समाप्त, षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल सुबह 07:22 से दोपहर 01:46 तक
विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
लक्ष्मी माँ की प्रसन्नता पाने हेतु
समुद्र किनारे कभी जाएँ तो दिया जला कर दिखा दें। समुद्र की बेटी हैं लक्ष्मी, समुद्र से प्रगति है। समुद्र मंथन के समय अगर दिया दिखा कर ” ॐ वं वरुणाय नमः ” जपें और थोड़ा गुरु मंत्र जपें, मन में तो वरुण भगवान भी राजी होंगे और लक्ष्मी माँ भी प्रसन्न होंगी।
बृहस्पति नीति
बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं। उन्होंने ऐसी कई बातें बताई हैं, जो हर किसी के लिए बहुत काम की साबित हो सकती हैं। बृहस्पति ने इन ऐसे नीतियों का वर्णन किया है, जो किसी भी मनुष्य को सफलता की राह पर ले जा सकती हैं।
मुश्किल कामों में भी आसानी से पा लेंगे सफलता अगर ध्यान रखेंगे ये 3 बातें
हर परिस्थिति में भगवान को याद रखें
मनुष्य को हर परिस्थिति में भगवान को याद करना चाहिए, क्योंकि भगवान का स्मरण ही हर सफलता की कुंजी हैं। जो मनुष्य इस बात को समझ लेता है, उसे जीवन में सभी सुख मिलते हैं और स्वर्ग पाना संभव हो जाता है।
दुर्जनों को छोड़, सज्जनों की संगती करें
मनुष्य को दुर्जन यानी बुरे विचारों और बुरे आदतों वाले लोगों की संगति छोड़कर, बुद्धिमान और सज्जन लोगों से दोस्ती करनी चाहिए। सज्जन लोगों की संगति में ही मनुष्य दिन-रात धर्म और पुण्य के काम कर सकता है।
हर कोई मनुष्य का साथ छोड़ देता है लेकिन धर्म नहीं
हर कोई कभी न कभी साथ छोड़ देता है, लेकिन धर्म कभी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। जब कोई भी अन्य मनुष्य या वस्तु आपका साथ नहीं देते, तब आपके द्वारा किए गए धर्म और पुण्य के काम ही आपकी मदद करते हैं और हर परेशानी में आपकी रक्षा करते हैं।