कोरोना महामारी के बीच आयुर्वेद विभाग का मधुयष्टियादि काढ़ा बढ़ाएगा रोग प्रतिरोधक क्षमता

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जोगिन्दर नगर, (मंडी)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) के बीच सरकार ने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को प्रमुखता से शामिल किया है।

इस जानलेवा महामारी के बीच फ्रंट लाइन पर लड़ रहे कोरोना वारियर्स के साथ-साथ आम लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार ने प्रदेश आयुर्वेद विभाग के माध्यम से मधुयष्टियादि कषाय (काढ़ा)को लॉच किया है।

बनफशा, मीठी सौंफ, मुनक्का, दालचीनी, गुलाब और मधुयष्टि जैसी कई जड़ी-बूटियां से तैयार होना वाला यह काढ़ा इम्युनोबूस्टर के तौर पर काम करता है। यह काढ़ा खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, बुखार, गले के संक्रमण एवं श्वसन संबंधी विभिन्न बीमारियों के इलाज में भी सहायक होता है।

मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर ने 1 मई को शिमला से मधुयष्टियादि कषाय (काढ़ा) को लांच किया है तथा अब जल्द ही यह लोगों तक पहुंच जाएगा।

मंडी जिला के जोगिन्दर नगर स्थित राजकीय आयुर्वेदिक फॉर्मेसी में मधुयष्टियादि काढ़े को तैयार किया जा रहा है। पहले चरण में सरकार ने विभाग को 36 क्विंटल काढ़ा तैयार करने को कहा है।

इस काढ़े को तैयार करने से लेकर इसकी पैकेजिंग तक आयुर्वेदिक फॉर्मेसी जोगिन्दर नगर में गत 22 अप्रैल से लगभग 45 कर्मचारी प्रतिदिन 12 घंटे काम कर इसे तैयार करने में जुटे हुए हैं।

36 क्विंटल काढ़े के निर्मित लगभग 75 ग्राम भार वाले 45 हजार पैकेट तैयार किये जा रहे हैं। पहले चरण में प्रदेश भर में कोरोना महामारी से फ्रंट लाइन पर लड़ रहे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, आयुर्वेद विभाग, पुलिस, मीडिया, जन सम्पर्क व सफाई कर्मियों सहित अन्य लोगों को इसे उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सके।

कैसे करें काढ़े का उपयोग

75 ग्राम पैक में से 1-2 चम्मच काढ़ा एक बर्तन में डाल लें तथा उसमें 200 मिलीमीटर पानी को शामिल करें। अब इस काढ़े को हल्की आंच पर एक चौथाई शेष रहने तक उबालें।

उबालने के बाद तरल को एक गिलास में छान लें तथा स्वादानुसार इसमें गुड़, शहद या नींबू रस को मिलाया जा सकता है। इसको पीने से पहले अच्छी तरह से हिला लें ताकि काढ़ा अच्छी तरह से घुल जाए। काढ़े को प्रतिदिन सुबह व शाम खाली पेट सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

इसके नियमित सेवन करने से व्यक्ति का खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, बुखार, गले के संक्रमण एवं श्वसन संबंधी विभिन्न बीमारियों से बचाव होता है।

किन-किन घटक द्रव्यों से बना है मधुयष्टियादि कषाय (काढ़ा)

मधुयष्टियादि कषाय (काढ़ा) 10 आयुर्वेदिक औषधीय घटक द्रव्यों से बना है। जिनमें दालचीनी, मधुयष्टि, बनफशा, सौंफ, मुनक्का, गोजिहा, श्लेष्मातक, गुलाब पुष्प, रेशा खात्मी व बदर का एक-एक भाग शामिल होता है।

क्या कहते हैं अधिकारी

उप निदेशक आयुर्वेद विभाग मंडी जोन डॉ तेजस्वी विजय आजाद से बातचीत की तो उनका कहना है कि जोगिन्दर नगर आयुर्वेदिक फॉर्मेसी में सरकारी आदेशों के तहत 36 क्विंटल मधुयष्टियादि कषाय (काढ़ा) के 75 ग्राम भार वाले 45 हजार पैकेट तैयार किये जा रहे हैं।

इन तैयार पैकेट को जल्द ही जिलों को भेज दिया जाएगा ताकि कोरोना वारियर्स को इन्हे वितरित किया जा सके। इन पैकेट को तैयार करने में लगभग 45 कर्मचारी 22 अप्रैल से प्रतिदिन 12 घंटे कार्य करते हुए जुटे हैं।

उन्होंने बताया कि लोग स्वयं भी घर में तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च तथा सौंफ को मिलाकर काढ़ा तैयार कर सकते हैं।

इसके अलावा प्रतिदिन प्राणायाम व योग को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करने का आहवान किया है जिससे भी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।

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