हमीरपुर। कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी ने जब से श्रमिक कामगारों के घर लौटने का खर्च देने का ऐलान किया है, तब से बीजेपी समेत अन्य कई पार्टियों की परेशानी बढ़ गई है। जो सरकारें अभी तक मजबूर, मजदूर वर्ग की परेशानियों की ओर से आंखें मूंदे हुई थी उन सरकारों ने अब कांग्रेस के ऐलान के बाद अचानक मजदूरों की वकालत करनी शुरू कर दी है।
यह बात हिमाचल कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि सोनिया गांधी के मजदूरों को घर पहुंचाने का किराया पार्टी द्वारा देने के ऐलान के बाद बीजेपी के साथ अन्य सियासी दलों के हाथ-पांव फूल रहे हैं।
कांग्रेस के ऐलान के बाद बढ़ते दबाव व बीजेपी की सियासी परेशानी के बाद अब आनन-फानन में केन्द्र सहित अन्य राज्यों की सरकारें भी मजदूरों को राहत देने की बातें करने लगी हैं।
कांग्रेस के ऐलान के बाद यह साबित हो गया है कि कांग्रेस ही समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े आम आदमी की पक्षधर व असली पैरोकार है, थी व रहेगी।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सहित जो सरकारें देश से कोविड-19 के नाम पर अरबों रुपए की डोनेशन लेने के बाद अरबों रुपया अधिकारियों, कर्मचारियों के एक दिन के वेतन की कटौती से जमा कर चुकी है। साथ ही कर्मचारी, अधिकारी वर्ग पैंशनरों का डीए फ्रीज करके अरबों रुपए की बचत का इंतजाम कर चुकी है। वह सरकार बताए कि आखिर अरबों रुपए की इस डोनेशन से महामारी में पीडि़त व प्रभावित लोगों को कितनी राहत दी है?
हैरानी यह है कि सरकार क्वारिंटाइन कैंपों में पड़े मजबूर मजदूर को ढंग से खाना दे नहीं पा रही है, घर उनको पहुंचा नहीं पा रही है, ऐसे में डोनेशन का अरबों रुपए का धन इस वक्त कहां और किस पर खर्च हो रहा है देश की जनता अब यह जानना चाह रही है?
देश और प्रदेश का आम आदमी अब यह सवाल उठाने लगा है कि सरकार अरबों रुपए के धन का इस्तेमाल कहां और क्या कर रही है? जो सरकारें लोगों को घर भेजने का खर्च अरबों की डोनेशन के बावजूद नहीं उठा पा रही हैं, तो आखिर उस डोनेशन का क्या हो रहा है।