हमीरपुर। सेंट्रल यूनिवर्सिटी कांगड़ा भाजपा की आपसी कशमकश में प्रदेश को वह लाभ नहीं दे पाई है जिस मकसद से इस विश्वविद्यालय को हिमाचल प्रदेश में स्थापित किया गया था। सियासी स्वार्थों में मकसद से भटका केंद्रीय विश्वविद्यालय अब वरदान की बजाय अभिशाप बन रहा है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।
राणा ने कहा कि पार्टी व परिवारवाद के बीच फंसा यह उच्च शिक्षण संस्थान पहले ही फैकल्टी की नियुक्तियों में धांधली के लिए चर्चा में आया है।
उन्होंने कहा कि यूपीए टू में शुरू किया गया सीयूएचपी सेंट्रल यूनिवर्सिटी एक्ट 2009 (नं. 25 ऑफ 2009) में कांग्रेस सरकार द्वारा देश और प्रदेश में शिक्षा ले रहे युवाओं को घर द्वार बेहतर सुविधाजनक उच्च शिक्षा देने के लिए खोला गया था लेकिन तब तत्कालीन बीजेपी सरकार के मुखियाओं ने इस संस्थान को पारिवारिक हित साधते हुए क्षेत्रवाद के मामले में उलछाए रखा, जिसके चलते यह राजनीतिक मुद्दा बना।
उस समय केंद्र के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने इस विवाद को क्षेत्रवाद से उठाकर स्थायी समाधान के भरपूर प्रयास किए, लेकिन बीजेपी सरकार के निजी स्वार्थों की साजिशों ने उन प्रयासों को सिरे नहीं चढऩे दिया। 2014 में जब केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ तो उस समय हिमाचल में कांग्रेस की सरकार थी।
कांग्रेस ने एक बार फिर से इस मुद्दे का समाधान करना चाहा, लेकिन क्षेत्रवाद की राजनीति करते हुए एक हाई प्रोफाइल सेलिब्रिटी नेता ने अपने निजी स्वार्थ के लिए सीपीयू के निर्माण में न केवल रोड़े अटकाए बल्कि इस मामले को लटकाने के भरपूर प्रयास किए।