ग्रह चाल से बिगड़ेगी उद्धव की चाल: पंडित शशिपाल डोगरा

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शिमला। हिमाचल प्रदेश की बेटी कंगना रणौत और महाराष्ट्र सरकार के बीच चल रहा शह और मात का खेल अभी क्या रंग दिखेएगा आइए जानते हैं ज्योतिष की नजर में।

ज्योतिष का सर्वाधिक रहस्यमयी ग्रह राहु इस महीने 23 सितंबर को सुबह 12:53 बजे स्थान परिवर्तन कर रहा है। 18 साल बाद ग्रह चाल बदलते हुए इस दिन राहु मिथुन राशि से वृषभ राशि में और केतु धनु राशि से वृश्चिक राशि में जाएगा।

वशिष्ट ज्योतिष सदन के अध्यक्ष पंडित शशिपाल डोगरा कहते हैं कि 23 सितंबर को राहु मिथुन राशि से वृष राशि में वक्री होकर प्रवेश करेगा और केतु वृश्चक में प्रवेश करेगा जिसके कारण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए संकट का समय शुरु हो जाएगा।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की राशि वृष बनती है। राहु और केतु के राशि परिवर्तन के कारण उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है। महाराष्ट्र राज्य की राशि सिंह बनती है। उसमें राहु 10वें भाव में कोई बडा षडयंत्र करवा देगा।

पंडित डोगरा के अनुसार 12 अप्रैल 2022 तक राहु-केतु इसी राशि में विचरण करेंगे। नवग्रह में राहु व केतु की चाल हमेशा उल्टी दिशा में होती है, जबकि सूर्य एक मात्र ऐसा ग्रह है, जो हमेशा सीधी चाल ही चलता है।

राहु का ये परिवर्तन इस साल की सबसे बड़ी ज्योतिषीय घटनाओं में से एक है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि वालों के लिए लाभदायी रहेगा।


हिमाचल के लिए समय अनुकूल नहीं


पंडित डोगरा ने बताया कि इन दोनों ग्रहों का स्थान परिवर्तन पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के लिए भी समय अनुकूल नहीं है। प्रदेश में किसी बड़े नेता के लिए संकट का समय है।

अगर देश की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राशि पर केतु का संचार संकट देगा।

देश को युद्ध की ओर धकेल सकता है। कोरोना अभी रुकने का नाम नहीं लेगा। देश पहले ही राहु की चपेट में है। अंक 4 वाला वर्ष 2020 मृत्यु कारक शमशान योग बना चुका है। यह देश में मृत्युदर काफी ज्यादा देगा।

शनि की साढ़ेसती भाजपा के लिए पहले ही परेशानी और संकट वाला समय का सामना करवा रही है। ऊपर से 6वें भाव में राहु का जाना शुभ संकेत नहीं है, जबकि देश की दूसरी प्रमुख कांग्रेस पार्टी के लिए 23 सितंबर से अपनी ही पार्टी में विरोध के स्वर बहुत तेज होंगे। जिसके कारण कांग्रेस के प्रमुख को बहुत बड़ी मुश्किल में डाल सकती है।

इसमें पार्टी प्रमुख के स्वास्थ्य के लिए भी समय शुभ नहीं होगा। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद के लिए किसी अन्य पर भी दांव खेल सकती है। राहु व केतु का परिवर्तन अग्नि, भय, जल व दंगे दे सकता है।

वहीं अन्य राशियों के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। अंक ज्योतिष के अनुसार वर्ष 2020 का मूलांक 4 आता है। इसके राशि स्वामी राहु है। राहु का असर कोरोना वायरस से भी जुड़ा दिख रहा है। ऐसे में इसके राशि परिवर्तन से कोरोना का असर न्यूनतम स्थिति में आने की संभावना है।

राज और प्रशासन पर भी असर देखने को मिलेगा। राहु के राशि परिवर्तन से अचानक लाभ, अचानक कष्ट या नुकसान का कारक माना है। प्रदेश व देश के विकास में सहायक होगा तो सत्ता पक्ष में बेचैनी बढ़ाएगा। राहु में जहां शनि के गुण होते हैं तो केतु में मंगल के गुण है।


ऐसे समझें राहु-केतु क्या है


पौराणिक ग्रंथों में राहु एक असुर हुआ करता था। जिसने समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत की कुछ बूंदें पी ली थी। सूर्य और चंद्रमा को तुरंत इसकी भनक लगी और सूचना भगवान विष्णु को दी। इसके पश्चात अमृत गले से नीचे उतर गया और भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।

इस कारण उसका सिर अमरता को प्राप्त हो गया जो राहु कहलाया, धड़ केतु बना। सूर्य व चंद्रमा से राहु की शत्रुता का कारण भी यही माना जाता है। मान्यता है कि इसी शत्रुता के चलते राहु सूर्य व चंद्रमा को समय-समय पर निगलने का प्रयास करता है। इस कारण इन्हें ग्रहण लगता है।


उल्टी चाल चलने वाला ग्रह है राहु-केतु


वशिष्ट ज्योतिष सदन के अध्यक्ष पंडित शशिपाल डोगरा ने बताया कि ये दो ऐसे ग्रह हैं जिन्हें ज्योतिषशास्त्र के तहत छाया ग्रहों का नाम दिया गया है।

खगोलीय दृष्टि से भले ही ये दो ‘ग्रह’ ना माने गए हों लेकिन ज्योतिषशास्त्र में इन्हें महत्वपूर्ण दर्जा प्रदान किया है। ये दो ऐसे ग्रह हैं जिन्हें शुरुआत से ही वक्री यानि उलटी चाल चलने वाला ग्रह माना जाता है। ग्रहों को मुख्य रूप से शुभ और क्रूर ग्रहों की श्रेणी में बांटा गया है।

इनमें राहु-केतु को क्रूर ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। जब राहु और केतू की युति होती है तब जातक को बड़े परिणाम देखने को मिल सकते हैं। वर्ष यानि 2020 राहु का साल है और इसी साल राहु केतु अपना राशि परिवर्तन करने जा रहा है, जो प्रमुख घटना है। कोरोना का असर न्यूनतम स्थिति में आने की संभावना है।

कोरोना महामारी का संकट अभी बहुत बढ़ेगा। लोगों को स्वयं ही अपनी रक्षा करनी होगी। अगले वर्ष 13 जनवरी के बाद चेन की सांस ली जा सकती हैं, तब तक अपनी रक्षा खुद करें व ईश्वर की आराधना करें।

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