सरकार की गलत नीतियों व फैसलों के कारण तबाही की कगार पर पहुंचा देश और प्रदेश : राणा

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हमीरपुर। सरकार की गलत नीतियों व गलत फैसलों के कारण वर्तमान में देश सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। आजादी के बाद जनादेश के बहुमत व सत्ता की मनमानियों के बीच जहां आम नागरिक का जीवन स्तर गिरा है वहीं, निचले तबके के वर्गों का जीना दुश्वार हो चुका है।

यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि देश में उत्पादन व मांग के बीच का भारी अंतर बता रहा है कि आम आदमी के पास गुजारे लायक साधनों का भी निरंतर टोटा होता जा रहा है।

देश की अधिकांश जनता अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। विधानसभा में देश और प्रदेश के खराब आर्थिक हालातों को लेकर निरंतर चर्चा और चिंतन हुआ है, लेकिन सरकार अभी भी आने वाले खतरे की तरफ से आंखें मूंद कर अनजान बनी बैठी है।

यह दीगर है कि सरकार का दिवाला निकल चुका है। सरकार की माली हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब प्रदेश को चलाने के लिए सिर्फ कर्ज का ही सहारा है। पहले से कर्जों के पहाड़ के नीचे दबे प्रदेश पर निरंतर येन-केन प्रकरण से और कर्जा लादा जा रहा है।

राणा ने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि अगर यही आलम रहा तो वह दिन दूर नहीं जब यह प्रदेश एक लाख करोड़ के कर्जे के नीचे दब जाएगा। व्यापारी, कर्मचारी, अधिकारी सरकार के गलत फैसलों के कारण निरंतर हताश व निराश हो रहे हैं।

बेरोजगारों की फौज निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अगर बेरोजगारी के गैर-सरकारी आंकड़ों पर गौर की जाए तो यह 20 लाख को पार कर चुका है। यह अलग बात है कि सरकारी आंकड़ा अभी तक प्रदेश में करीब 12 लाख लोगों को ही बेरोजगार बता रहा है।

देश और प्रदेश के निरंतर खराब होते माली हालातों के बीच जनता का भरोसा सत्ता और राजनीति से उठ चुका है। क्योंकि झूठ की राजनीति के बीच अब लोगों को सरकार पर कोई भरोसा नहीं बचा है।

राणा ने तंज कसते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की स्टेटमेंट आंखों में नमी, हसीं लबों पर क्या हाल है और क्या दिखा रहे हो, देश और प्रदेश की खराब होती हालत को बयां करने के लिए काफी है। दुर्भाग्य यह है कि जनादेश के बहुमत का दुरूपयोग करते हुए बीजेपी की सत्ता ने देश में झूठ की राजनीति की नई शुरुआत की है जो कि एक-एक करके देश और राज्य के हितों को निगल रही है।

सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के रिजर्व फंड उठाने के बाद अब नागरिकों की बैंकों में जमा पूंजी पर खतरा मंडराने लगा है। जनता अपनी जमा पूंजी को लेकर चिंता और पशोमेश में है कि आखिर उनके भविष्य का क्या होगा? देश पर आए इस नए संकट में व्यापारियों, कारोबारियों व कर्मचारियों को पूरी तरह से तबाह करके रख दिया है।

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