कोविड से निपटने में केंद्र सरकार हुई नाकाम: सुधीर

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शिमला। सुधीर शर्मा सचिव ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी और पूर्व केबिनेट मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार ने यहां एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि लॉकडाउन 4 समाप्त होने (69 दिन) के बाद क्या केंद्र सरकार के पास कोविड 19 वायरस से निपटने के तरीके पर कोई योजना है या नहीं ?

30 मई तक देश में 1,74,000 से अधिक मामलों और लगभग 4900 मौतों के साथ, यह समझ से बाहर है कि वायरस समुदाय में नहीं फैल रहा है। सरकार लगातार इस बात पर जोर दे रही है कि कोई भी समुदाय प्रसार नहीं हुआ है, यह भ्रामक है और लोगों को झूठी उम्मीद देता है कि वे सुरक्षित हैं।

यदि मामलों की अपेक्षाकृत कम संख्या होने पर लोग सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते, तो जब मामलों की संख्या बढ़ने लगी है तो वे अपनी सरकार पर कैसे भरोसा करेंगे? क्या बुरे समय के लिए योजना बनाना तथा अच्छे समय की आशा रखना ही बेहतर है।

भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई विशेषज्ञों के अनुसार संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है तथा जुलाई में ये और भी बड़ सकते हैं, जिसका मतलब है कि हमें कोविड-19 से सितम्बर तक ख़तरा है।

सर्दियों में संभवतः इसकी एक दूसरी लहर आ सकती है। इन विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई की शुरुआत में कुछ बिंदुओं पर (यदि पहले नहीं), हमारे स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढाँचे के पूरी तरह से टूटने की संभावना है, जिसका सीधा अर्थ यह होगा कि कई स्थानों और शहरों के अस्पतालों में corona संक्रमित के लिए उचित कमरे उपलब्ध नहीं हो पाएँगे।

69 दिनों से अधिक समय तक चले इन चार लॉकडाउन में केंद्र सरकार इस घातक वायरस के हमले का मुकाबला करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी।

अब यह स्पष्ट है कि हमें अगले साल की शुरुआत तक वैक्सीन नहीं मिल रही है, संभवतः डेढ़ साल तक भी नहीं। इस बात का कोई सबूत भी नहीं है कि कोई भी दवा या चिकित्सीय हस्तक्षेप कोविड संक्रमण को रोक सकता है या उसका इलाज कर सकता है। यदि हम देशव्यापी तालाबंदी के दस सप्ताह बाद भी तैयार नहीं हैं, तो हम कभी भी तैयार नहीं होंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना चाहिए कि पिछले 69 दिनों के दौरान खरीद और तैयारियों के संदर्भ में इसने क्या किया है, इससे मामलों की संख्या बढ़ने पर हमें मदद मिलेगी।

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