हमीरपुर 9 मई, 2020। हिमाचल में आसमान छू रहे सीमेंट के दामों के पीछे का राज क्या है, इस राज को अब प्रदेश की जनता जानना चाहती है? लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन के बीच लगातार बढ़ रहे सीमेंट के दामों ने समाज की कमर तोड़कर रख दी है।
यह बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि पहाड़ प्रदेश के, मिट्टी प्रदेश की, पर्यावरण प्रदेश का खराब हो रहा है, सड़कें प्रदेश की टूट रही हैं, धूल ध्वस्रित माहौल में मिट्टी प्रदेश के लोग फांक रहे हैं परंतु प्रदेशों की तुलना में हिमाचल में पैदा होने वाला सीमेंट सबसे मंहगा प्रदेश की जनता को मिल रहा है, जो कि प्रदेश की जनता के साथ सरासर अन्याय है।
इतना ही नहीं आम आदमी के साथ-साथ टैक्स पेयर के धन पर भी सीमेंट की बेलगाम मंहगाई से परोक्ष डाका डल रहा है, लेकिन सरकार इस मामले पर रहस्यमय चुप्पी साधे हुए है।
ऐसा भी नहीं है कि सीमेंट बनाने का रॉ मैटिरियल राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंहगा हुआ हो। राणा ने कहा कि लॉकडाउन में बढ़े सीमेंट के रेटों के बाद प्रदेश के आम आदमी से लेकर अफसरशाही की फीडबैक पर गौर करें तो सीमेंट की बेलगाम मंहगाई के पीछे अब किसी बड़ी डील के आरोप लगने लगे हैं।
कुछ जिम्मेदार अधिकारी बताते हैं कि करोड़ों रुपए का सीमेंट तो सरकारी निर्माण कार्यों के लिए सरकार के खजाने से खरीदा जाता है। इस तरह सीमेंट कंपनियों को लाभ देने के लिए सरकारी खजाने को भी योजना बद्ध तरीके से लुटाया जा रहा है।
राणा ने सवाल खड़ा किया है कि सरकार बताए कि इस मामले में प्राइस चेक के लिए सरकार ने क्या पैमाना रखा है?
उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश में सीमेंट पैदा हो रहा है, उस प्रदेश के लोगों को सीमेंट मंहगा बेचा जा रहा है, जबकि दूसरे प्रदेशों में यही कंपनियां सीमेंट सस्ता बेच रही हैं। पिछले एक साल में सीमेंट के एक बैग का रेट 70 से 80 रुपए बढ़कर 400 रुपए पर जा पहुंचा है।