सरकार ने चला रखी है सरकारी उपकरणों को सेल करने की स्कीम : राणा

Spread with love

हमीरपुर। देश की मृत होती अर्थव्यवस्था, खत्म होते रोजगार व सालों से क्रियाशील सरकारी संपतियों को बेचने पर आमदा हुई केंद्र की मोदी सरकार से प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने सवाल किया है कि देश को गिरवी रखकर यह अच्छे दिनों की कौन-सी परिभाषा लेकर सरकार आई है।

हिन्दुस्तान ऑन सेल की यह कैसी स्कीम चलाई है कि चंद चहेते उद्योगपतियों को देश की सरकारी संपतियों व संस्थानों को बेचने पर सरकार आमदा हुई है। जारी प्रेस विज्ञप्ति में राजेंद्र राणा ने कहा कि आजादी से पहले देश का बंटाधार ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया था, तब भी वर्तमान केंद्र सरकार की विचारधारा वाले लोग उसी कंपनी के पिछलग्गू थे और अब उसी विचारधारा की सरकार देश को चंद उद्योगपतियों के पास गुलाम करने को तुली हुई है।

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया का सरकार ने दिवाला निकाल दिया है। आरबीआई को चलाने वाले अर्थशास्त्री गवर्नर सरकार की देश को दिवालिया करने की मंशा समझकर छोड़कर जा रहे हैं।

हद तो तब हो गई, जब सरकार ने वैश्विक महामारी का फायदा उठाकर वर्ल्ड बैंक से भी 76 लाख करोड़ रूपए उठा लिए, जबकि कोरोना महामारी से पहले ही आरबीआई से भी आपदा के समय के लिए रखे 1 लाख 76 हजार करोड़ रूपए निकाल लिए थे।

बड़े सरकारी उपक्रमों रेलवे, बिजली बोर्ड, डाक विभाग, एयरपोर्ट, कोयला खदान आदि के साथ चहेते औद्योगिक घरानों को बेचने के साथ अब बीएसएनएल को बेचने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।

पिछले 70 सालों में कांग्रेस नीत सरकारों ने अनेकों बड़े व बेहतर संस्थान देश की जनता को समर्पित किए, लेकिन वर्तमान सरकार कोई एक भी नया संस्थान तो स्थापित नहीं कर पाई लेकिन सालों से क्रियाशील संस्थानों व सरकारी उपक्रमों को भी नहीं चला पाई जोकि जुमलों वाली सरकार की एतिहासिक विफलता है।

उन्होंने कहा कि पहले हिमाचल ऑन सेल तो सुना करते थे लेकिन अब हिन्दुस्तान ऑन सेल की मुहिम ही सरकार ने चला दी है।

उन्होंने कहा कि सरकार गरीब व मध्यम वर्ग को सपने तो दिखाती है लेकिन उन्हें पूरा करने की बजाय बदले में उनका खून चूस रही है, क्योंकि वर्तमान में देश के हालात बदतर हो चुके हैं। वर्तमान सरकार से हर वर्ग निराश व हताश हो चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: