कोरोना काल में मोबाइल क्रान्ति पहुंची खेतों तक, व्हाट्सएप से हो रहा है किसानों की समस्याओं का समाधान

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प्रदेश में लगभग 5676 किसानों को जोड़ा जा चुका है 94 कृषि व्हाट्सएप ग्रुपों से

शिमला, 25 मई, 2020। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से जहां पूरी दुनिया प्रभावित है वहीं हिमाचल प्रदेश के किसानों ने इसे एक अवसर के रूप में लिया है। प्रदेश के किसान इस कोरोना काल में अपने खेत-खलियान और बाग-बगीचों से जुड़कर प्रदेश में प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देने में आगे आए हैं वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी अपने कदम आगे बढ़ाते हुए डिजिटल तकनीक व मोबाइल क्रान्ति को खेतों तक पहुंचा कर खेती से जोड़ दिया है।

व्हाट्सएप पर दिए जा रहे है खेती के टिप्स

संकट के इस समय में किसानों की आर्थिकी को बनाए रखने, समस्याओं के समाधान व उन्हें खेती संबंधी सलाह देने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा सोशल मिडिया व्हाट्सएप का सहारा लिया जा रहा है जिसके लिए ब्लाॅक, जिला व राज्य स्तर पर व्टसएप ग्रुप बनाए गए है।

कृषि अधिकारी वीडियो काॅलिंग के माध्यम से किसानों के खेतों तक पहुंच कर लाइव रू-ब-रू होकर उनकी समस्याओं का समाधान कर रहे है और व्हाट्सएप पर ही किसानों को प्राकृतिक खेती करने के भी टिप्स दे रहे हैं।

प्रदेश में 94 कृषि ग्रुप किए सक्रिय

कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा विभिन्न स्तरों पर प्रदेश भर में लगभग 94 व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं। इन ग्रुपों से लगभग 5676 किसानों का अभी तक जोड़ा जा चुका है।

कृषि अधिकारी इन ग्रुपों के माध्यम से प्राकृतिक खेती के सही जानकारी किसानों को दे रहे हैं। ब्लाॅक स्तर पर 80 व्हाट्सएप ग्रुप, जिला स्तर पर 12 ग्रुप और प्रदेश स्तर पर 2 व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए है।

प्रदेश के सभी 80 ब्लाॅकों में बनाए गए कृषि ग्रुपों से लगभग 4 हजार, जिला स्तर पर बनाए गए 12 ग्रुपों से लगभग 500 किसानों को जोड़ा गया है जबकि प्रदेश स्तर पर बनाए गए 2 व्हाट्सएप ग्रुपों से लगभग 1176 किसानों व अधिकारियों को जोड़ा गया है।

इसके अलावा प्रत्येक ब्लाॅक में तीन अधिकारी और जिला स्तर पर प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एसएमएस और डीपीडी की तैनाती भी की गई है, जो लाॅकडाउन के दौरान भी किसानों के साथ फोन के माध्यम से लगातार संपर्क में हैं।

2921 पंचायतों में खड़े किए जा चुके है माॅडल

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरकार की ओर से दो वर्ष पूर्व प्रदेश में शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि से अभी तक 54 हजार किसान जुड़ चुके हैं।

70 हजार से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। प्रदेश में अब तक 2151 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। वर्ष 2022 तक समूचे प्रदेश को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लक्ष्य के तहत प्रदेश की 2921 पंचायतों में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि के माॅडल खड़े किए जा चुके हैं।

किसानों को सस्ते दामों पर तैयार आदान मिल सके इसके लिए 312 संसाधन भंडार भी तैयार किए गए हैं।

नए किसानों का प्रेरित कर रहे पहले से जुड़े लोग

लाॅकडाउन के दौरान इन किसानों ने अपने साथ हजारों नए किसानों को जोड़कर प्रदेश को प्राकृतिक खेती राज्य बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाएं हैं। प्रदेश में लाॅकडाउन के कारण जहां किसानों के लिए मास ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित नहीं हो पा रहे है वहां पर संकट के इस समय में पहले से ही प्राकृतिक खेती कर रहे किसान नए किसानों को न केवल सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं बल्कि प्राकृतिक खेती करने की विधि के अनेक माॅडल भी किसानों के खेतों में खड़े करवाए हैं।

प्राकृतिक खेती अपनाने वाले नए किसान बताते हैं कि खेती की इस विधि को अपनाने में उन्हें बाजार से कुछ भी खरीद कर लाने की जरूरत नहीं होती है, खेती में प्रयोग होने वाले सभी आदान घर पर और घर के आसपास ही मिल जाते हैं।

किसानों की उपज को मंडियों तक पहुंचाने के लिए भी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्रयास किए जा रहे है ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके।

प्रकाशित की जा रही है सफलता की कहानियां

किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि की तकनीक आसान और सरल भाषा में समझ आ सके इसके लिए विशेष साहित्य भी तैयार किया गया है।

प्राकृतिक खेती परियोजना की राज्य कार्यान्वयन इकाई की ओर से प्राकृतिक खेती विधि की तकनीक को लेकर 6 पुस्तकों का संकलन किया गया है। किसान इन पुस्तिकाओं में बताई गई विधि और कृषि सलाह को पढ़कर अपने खेतों में आदानों को प्रयोग कर सके।

प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को आकर्षित करने के लिए, प्राकृतिक खेती को अपना चुके सफल किसानों की कहानियों का भी प्रकाशन किया जा रहा है।

दी जा रही है कृषि सलाह

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि लाॅकडाउन के दौरान किसानों को आ रही समस्याओं का हर संभव समाधान किया जा रहा है।

फसल को लगने वाली विभिन्न बीमारियों से फसल बचाव के संबंध में भी समय-समय पर किसानों का कृषि सलाह दी जा रही है जिसके लिए व्हाट्सएप का प्रयोग भी किया जा रहा है। किसानों के प्रदेश भर में व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए है।

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