केंद्र से मिल रही है अरबों की उदार मदद के बाद भी कर्मचारियों का वेतन काटना नहीं तर्क संगत : राणा

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हमीरपुर। प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने केंद्र द्वारा 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा का स्वागत किया है। इसका निजी तौर पर वह भी स्वागत करते हैं। राजनीति की बात राजनीति से है लेकिन जहां देश और प्रदेश के हित का सवाल है, तो मैं राजनीति से हमेशा ऊपर उठकर बात करता हुं।

यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि इससे पहले भी अप्रैल में प्रदेश को 2 हजार करोड़ रुपया केंद्र द्वारा देने का दावा किया गया है।

अब केंद्र के लाखों-करोड़ों के पैकेज के ऐलान के साथ प्रदेश को 2 हजार करोड़ रुपए की उदार सहायता मिलने के बावजूद पहले से कर्ज में डूबी प्रदेश सरकार और कर्जा किस मकसद से ले रही है, यह अब सरकार को स्पष्ट करना ही होगा। क्योंकि इस बात को विपक्षी के नाते मैं भी जिम्मेदारी से जानना चाहता हुं और प्रदेश की जनता जो इस उदार सहायता के बाद राहत के किसी बड़े चमत्कार की उम्मीद कर रही है, वह भी जानना चाहती है।

राणा ने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रदेश में जब पहली बार डबल इंजन की सरकार ने दौड़ लगा ही दी है तो सवाल यह उठता है कि कोविड-19 की मार से विकट आर्थिक परिस्थितियों में फंसे कर्मचारियों व अधिकारियों का वेतन रिलीफ के नाम पर क्यों काटा जा रहा है।

जब प्रदेश सरकार को केंद्र से दिल खोल कर उदार सहायता लाखों-करोड़ों में मिल रही है तो रिलीफ के नाम पर कर्मचारियों का वेतन काटना न तर्क संगत माना जा सकता है, न ही न्याय संगत कहा जा सकता है।

यह दीगर है कि सरकार के खौफ से संकट में फंसा कर्मचारी वर्ग रिलीफ के नाम पर काटे गए वेतन पर अभी बात नहीं कर रहा है, लेकिन उन्हें मिली फीडबैक के मुताबिक कोविड-19 से जूझ रहे कर्मचारी सरकार के इस कदम से खुद को आहत व प्रताडि़त महसूस कर रहे हैं।

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