ऑनलाइन शिक्षा के लिए शिक्षकों को ट्रैंड करवाए सरकार : राणा

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हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि कोविड-19 के दौर में सेहत और शिक्षा को साथ-साथ ठीक रखने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई का प्रचलन शुरू हुआ है जो कि संकट के इस दौर में सही भी है।

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई करीब-करीब प्रदेश के सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में शुरू की गई है, लेकिन एक गैर-सरकारी संस्था के सर्वे पर भरोसा करें तो 99 फीसदी टीचरों को ऑनलाइन पढ़ाई का अनुभव नहीं है, उनके लिए यह शिक्षण पद्धति नई है।

यह समस्या हमारे देश और प्रदेश में पहली बार पेश आई है। बावजूद इसके शिक्षकों के हौंसेल, हिम्मत व जज्बे की दाद देनी होगी कि वह बिना किसी ट्रैनिंग के ऑनलाइन पढ़ाई का प्रयास जारी रखे हुए हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश शिक्षक जीवन में पहली मर्तबा ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं।

अपने व्यक्तिगत ज्ञान व इधर-उधर से प्राप्त जानकारियों के दम पर प्रदेश में शिक्षकों ने ऑनलाइन शिक्षा का क्रम जारी रखा है, जो कि शिक्षकों के शिक्षा के प्रति सम्मान के जज्बे को बताता है।

राणा ने हिमाचल प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग से आग्रह किया है कि सरकार ऑनलाइन शिक्षा के लिए शिक्षकों को ऑनलाइन ही ट्रैनिंग दिलाने का जल्द इंतजाम करे, ताकि उनकी मेहनत को तकनीक व ट्रैनिंग का अभाव प्रभावित न कर सके।

मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी गाईडलाइन में अधिकांश टीचर को ऑनलाइन पढ़ाई के न तो टूल्स पता है न ही उन टूल्स को उपयोग करने की जानकारी प्राप्त है।

ऐसे में महामारी के बचाव में सेहत का ख्याल रखने वाले शिक्षकों के शिक्षण के मिशन को झटका लग सकता है। राणा ने कहा कि हालांकि पड़ोसी राज्यों में शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा के लिए तैयार करने व ट्रैनिंग देने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है। जिसके बाद प्रशिक्षित टीचर छात्रों को पढ़ा रहे हैं।

हालांकि अभी तक शिक्षक कलाउड मीट एपस, शिष्य-दीक्षा, गुगल एपस आदि कई एपस का उपयोग अपनी-अपनी जानकारी के मुताबिक कर रहे हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में कई अनेक स्थानों पर नेटवर्क की भी बड़ी समस्या ऑनालाइन पढ़ाई में दिक्कतें कर रही है, तो अधिकांश स्कूलों में डिजिटल इंडिया अभी तक कागजों में ही घूम रहा है।

उन्होंने कहा कि पढ़ाई के हो रहे हर्ज को देखते हुए प्रदेश सरकार पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर शिक्षकों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ट्रैंड करे।

इसके साथ बड़ी समस्या यह भी है कि प्रदेश में अधिकांश परिवारों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं हैं जबकि ऑनलाइन स्कूल शिक्षण में एंड्रॉयड फोन पर व्हाटसएप अभी तक सबसे कारगर टीचिंग टूल साबित हुआ है।

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