हमीरपुर। बहुमत का लगातार दुरुपयोग करने वाली बीजेपी सरकार ने अब बाहरी राज्यों के युवाओं की भर्ती करके सत्ता दुरुपयोग की एक नई अति की है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।
राणा ने कहा कि एक ओर तो सरकार अपने राज्य के लोगों को नौकरियां नहीं दे पा रही है लेकिन दूसरी ओर बाहरी राज्यों के लोगों की भर्ती करके प्रदेश में प्रतिभावान बेरोजगार युवाओं से अन्याय कर रही है।
राणा ने कहा कि जब हिमाचल प्रदेश में क्लास-थ्री व क्लास-फोर के पदों पर बाहरी राज्यों के लोगों को नौकरियां न देने की नोटिफिकेशन कर दी है तो अब सरकार किस मंशा से बाहरी राज्यों के लोगों को नौकरियां दे रही है।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सरकार की अपनी ही अधिसूचना के कोई मायने नहीं हैं। इससे पहले भी सचिवालय में बाहरी राज्यों के लोगों की भर्ती को लेकर खूब हंगामा हुआ था। एनआईटी हमीरपुर में 100 के करीब बाहरी राज्यों के लोगों की भर्ती ने एक नया कीर्तिमान स्थापित करके राज्य के लोगों की अनदेखी का सबूत दिया था और अब फिर से बिजली बोर्ड में बाहरी राज्यों के 37 लोगों की भर्ती करके अपनी ही अधिसूचना को सरकार ने झूठा साबित किया है।
उन्होंने कहा कि 2018 में जूनियर इंजीनियर के 222 पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसका परिणाम सितंबर में आया था। इस कैटेगरी में सामान्य श्रेणी के 90 पद सृजित थे, जिनमें से अब 37 पदों पर उत्तराखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि कई राज्यों के युवाओं का सिलेक्शन किया गया है।
राणा ने कहा कि यह पद लोग वर्ग के तहत आते हैं, जिन पर केवल अपने ही राज्यों के युवाओं का अधिकार होता है, लेकिन ऐसे में सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर बाहरी राज्यों के लोगों को किस कारण और किस मंशा से सलेक्ट किया है यह सरकार को स्पष्ट करना होगा।
राणा ने कहा कि उधर भाजपा शासित हरियाणा सरकार ने असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति रद्द कर दी है क्योंकि यहां भी 80 में से 78 लोग बाहरी राज्यों के भर्ती किए गए थे।
जब मामला प्रकाश में आया तो यहां भी सरकार को अपनी मनमानी पर फैसला रद्द करके रोक लगानी पड़ी है। जबकि हिमाचल में बिजली बोर्ड में भर्ती किए गए 37 जूनियर इंजीनियर में से भी अभी तक 10 लोग वेटिंग लिस्ट में बताए जाते हैं।
येलो वेटिंग लिस्ट में शामिल यह 10 लोग भी सिलेक्टड हैं जिनकी शायद सरकार बाद में भर्ती करेगी।
राणा ने कहा कि सरकार की इस मनमानी के मुद्दे को लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार से जवाब मांगा जाएगा कि आखिर वो कौन सी वजह है कि अपने प्रदेश में बेरोजगारों की फौज के होते हुए सरकार का मोह बाहरी राज्यों के लोगों के प्रति उमड़ा है।
उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि कहीं इस मामले में भी अंदर खाते किसी नए भ्रष्टाचार की शुरुआत तो नहीं हुई है।