शिमला। प्रदेश में व्यवसायिक वाहनों में डस्टबीन लगाना अनिवार्य हो गया है। जिस वाहन में डस्टबीन नहीं होगा उसके दस हजार के चालान का प्रावधान है। जहां टैक्सी ऑपरेटर इस कदम का स्वागत कर रहे हैं वहीं इसके कुछ प्रावधानों पर प्रश्न चिन्ह भी उठाया जा रहा है।
टैक्सी ऑपरेटर और छोटा शिमला टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष नरेश वर्मा और टैक्सी ऑपरेटर जोगिंदर ने कहा कि सरकार द्वारा कमर्शियल वाहनों में डस्टबीन लगाए जाने के निर्णय का वह स्वागत करते हैं पर इन आदेशों में बहुत सी खामियां भी हैं।
उन्होंने कहा कि कूड़ा करकट फैलाने पर 1500 तो वहीं गाड़ियों में डस्टबीन नहीं लगवाने पर 10000 रुपये फाइन रखा गया है जो कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है।
उन्होंने कहा कि टैक्सी ड्राइवर बहुत मेहनत से थोड़ा थोड़ा कमाते हैं। महंगाई के इस दौर में जहां परिवार का पेट पालना मुश्किल है वहीं अगर 10000 फाइन देना पड़ जाए तो जीना दूभर हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि जहां सरकारी चालकों को 80000 से डेढ़ लाख तक सैलरी मिलती है वहीं सरकार ने 40 हजार में गाड़ी चालक सहित भाड़े पर ली है। अब कहीं उस गाड़ी का चालान 10000 का हो गया तो टैक्सी ऑपरेटर्स को गाड़ी चलाना कठिन हो जाएगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि गाड़ियों में जो डस्टबीन लगने हैं, उसके कूड़े का निपटान कैसे और कहाँ किया जाएगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है।
वहीं उन्होंने कहा कि कहीं यह मुहीम गाड़ियों में जीपीएस लगाने वाली मुहीम जैसी ही साबित ना हो। इसी तरह कुछ वर्ष पूर्व कमर्शियल वाहनों में एक कंपनी के द्वारा जीपीएस लगवाया गया था। बाद में उस कंपनी की जगह दूसरी कंपनी को ठेका दे दिया गया जिसने 3000 वाला जीपीएस 8000 में लगाया था।
उन्होंने कहा कि सरकार को फाइन कम करना चाहिए और जो मांगें विभिन्न ऑपरेटर्स द्वारा उठाई गई हैं उन पर गौर करना चाहिए।
वहीं उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर टैक्सी ऑपरेटर यूनियन जनरल हाउस आयोजित करने जा रही है। अगर सरकार द्वारा उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो आगे के एक्शन प्लान का निर्णय उस जनरल हाउस में लिया जाएगा।