हिमाचल। राज्य के लोगों को पारदर्शी और उत्तरदायी सुशासन प्रदान करने के अपने संकल्प के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने कामकाज में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के अधिकतम उपयोग को लगातार बढ़ावा दिया है। जन शिकायतों के त्वरित समाधान के अलावा प्रशासन में सुधार और लोगों को समयबद्ध सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न आईटी सक्षम सेवाएं शुरू की गई हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं ने राज्य सरकार को स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, अनुसंधान और सार्वजनिक सेवा वितरण आदि में त्वरित और कुशल सेवाएं देने में सक्षम बनाया है।
राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश आईटी, आईटीईएस और ईएसडीएम नीति-2019 अधिसूचित की है जिसका उद्देश्य प्रदेश को आईटी, आईटीईएस (सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं) और इलेक्ट्रिॉनिकी प्रणाली डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) कंपनियों के लिए पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाना है।
यह नीति इन क्षेत्रों के लिए अत्यधिक कुशल जनशक्ति पूल के अलावा इन उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ढांचागत सहायता प्रणाली बनाने की परिकल्पना भी करती है।
इस नीति से इन क्षेत्रों में स्टार्ट-अप और उद्यमिता को भी बढ़ावा मिलेगा और व्यापार में सुगमता को बढ़ावा देने तथा ई-गवर्नेंस ढांचे की स्थापना में एक मील पत्थर साबित होगा। साथ ही एक समय-सीमा में डिजिटल सेवा वितरण सुनिश्चित कर एक अनुकूल वाणिज्यिक माहौल भी तैयार होगा।
कागज रहित कार्यालयों को सक्षम बनाने के लिए प्रदेश में विभिन्न विभागों में ई-ऑफिस परियोजना लागू की जा रही है। हिमाचल प्रदेश सचिवालय के साथ-साथ 57 निदेशालयों, 11 उपायुक्त कार्यालय, 10 पुलिस अधीक्षक कार्यालयों के अलावा 26 फील्ड कार्यालयों सहित अब तक 5715 अधिकारियों और अधिकारियों को ई-ऑफिस के अंतर्गत शामिल किया गया है।
सरकार का विचार सभी कार्यालयों को कागज रहित मोड में स्थानांतरित करके ई-ऑफिस के छत के नीचे लाना है जिसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग विभिन्न विभागों को लगातार प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
आईटी निवेश को बढ़ावा देने के लिए शिमला और धर्मशाला के गग्गल में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) के दो केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम को सोलन जिले में वाकनाघाट स्थित आईटी पार्क में स्थानीय युवाओं के कौशल विकास के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के लिए जमीन उपलब्ध करवाई गई है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने दिसंबर, 2020 में इसकी आधारशिला रखी थी।
हिमाचल प्रदेश ड्रोन नीति को मंजूरी देने वाला भारत का पहला राज्य बना है। सरकारी क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन के उपयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए 14 दिसंबर, 2021 को धर्मशाला में ड्रोन मेला आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न ड्रोन निर्माताओं ने भाग लिया।
राज्य के आईटी विभाग ने गरुड़ परियोजना की भी परिकल्पना की है जिसका उद्देश्य ड्रोन के उपयोग से प्रशासन और सुधार है। इसे 27 दिसंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मंडी यात्रा के दौरान शुरू किया था।
क्षेत्रीय अस्पताल और मेडिकल कॉलेज, नेरचौक और धर्मशाला से टांडा मेडिकल कॉलेज तक दवाएं पहुंचाने के लिए ड्रोन का सफल ट्रायल रन किया गया है। आईटी विभाग ने ड्रोन कंपनियों के सहयोग से कुल्लू व चंबा ज़िलों के दुर्गम एवं दूर-दराज़ के इलाकों में ड्रोन का उपयोग कर दवाओं की डिलीवरी के लिए प्रूफ ऑफ कान्सेप्ट (पीओसी) का आयोजन किया।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने मार्च, 2022 में आईटीआई, शाहपुर, कांगड़ा में हिमाचल के पहले ड्रोन स्कूल का उद्घाटन किया।
मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 शिकायतों और सुझावों को दर्ज करने या जानकारी प्राप्त करने और प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए एक केंद्रीकृत शिकायत प्रणाली है। एमएमएसएस हेल्पलाइन में अब तक कुल 4,39,456 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से 4,24,782 शिकायतों का समाधान संबंधित नागरिकों की संतुष्टि के अनुसार किया गया है।
आईटी विभाग ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान संबंधित विभागों के साथ 160 (केंद्र की 73 व राज्य की 87) योजनाओं की पहचान की जिनमें से 59 योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) लागू किया गया है।
74 राज्य योजनाओं की अधिसूचना संबंधित विभागों द्वारा जारी कर दी गई है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 59 योजनाओं के तहत 13.83 लाख लाभार्थियों को डीबीटी के माध्यम से 2283.58 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए।
आईटी विभाग ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान ऑनलाइन डिलीवरी के लिए हिमाचल ऑनलाइन सेवा पोर्टल में 31 नई सेवाएं शामिल की हैं। इनमें से 28 सेवाएं बागवानी विभाग और तीन शहरी विकास विभाग की हैं। अब इस पोर्टल के माध्यम से राजस्व, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, शहरी विकास आदि सहित विभिन्न विभागों की 96 ऑनलाइन सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
पोर्टल के माध्यम से किए जा रहे आवेदनों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है और इसके माध्यम से प्रतिदिन औसतन 4500 आवेदन प्राप्त हो रहे हैं।
इससे क्षेत्रीय सरकारी कार्यालयों में आने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है और नागरिकों को घर बैठे समय पर सेवा प्रदान करने में मदद मिली है, जिससे उनका समय और पैसा भी बचा है। इसके अलावा, पंचायत स्तर पर सेवाओं के वितरण की सुविधा के लिए इस पोर्टल की 68 सेवाएं लोक मित्र केंद्रों के माध्यम से उपलब्ध करवाई गई हैं।
आईटी विभाग ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (एनईजीपी) के तहत हिमस्वान (हिमाचल स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क) नामक सुरक्षित नेटवर्क भी तैयार किया है जो खंड स्तर तक सरकार के सभी विभागों को सुरक्षित नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदान करता है। 2314 सरकारी कार्यालय, बोर्ड, निगम हिमस्वान के माध्यम से जोड़े गए हैं।