एसजेवीएन ने राजस्थान में 1000 मेगावाट की सौर परियोजना के लिए 5500 करोड़ के अनुबंध पर किए हस्‍ताक्षर

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शिमला। एसजेवीएन ने मैसर्स टाटा पावर सोलर सिस्टम्स लिमिटेड के साथ बीकानेर, राजस्थान में 1000 मेगावाट की सौर परियोजना के लिए ईपीसी अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किए।

नन्‍द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन की गरिमामयी उपस्थिति में अनुबंध समझौते पर एसजेवीएन के मुख्य महाप्रबंधक (ईसीडी), एस के सूद और मैसर्स टाटा पावर सोलर सिस्‍टम्‍स लिमिटेड के चीफ-बिजनेस डेवल्‍पमेंट, वेपुल जैन द्वारा हस्ताक्षर किए गए।

इस अवसर पर एस पी बंसल, निदेशक (सिविल) एसजेवीएन, अखिलेश्वर सिंह, निदेशक (वित्त) एसजेवीएन, सुशील शर्मा, निदेशक (विद्युत), एसजेवीएन, आशीष खन्ना, अध्यक्ष (नवीकरणीय) टाटा पावर और एसजेवीएन एवं मैसर्स टाटा पावर सोलर के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

नन्‍द लाल शर्मा ने बताया कि यह 5500 करोड़ रुपए का ईपीसी अनुबंध देश का अब तक अवार्ड किया गया सबसे बड़ा सौर अनुबंध है। अनुबंध में एसजेवीएन को प्रारंभ से अंत तक कमीशन किए गए सोलर संयंत्र की डिलीवरी शामिल है, जिसमें एकमुश्त प्रापण के आधार पर भूमि की व्यवस्था, आईएसटीएस सब स्टेशन तक विद्युत की निकास प्रणाली और तीन वर्षों के लिए सौर पीवी संयंत्र का प्रचालन और रखरखाव शामिल है।

नन्‍द लाल शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन ने भारत सरकार की सीपीएसयू योजना के माध्यम से इस 1000 मेगावाट की सौर परियोजना को हासिल किया है।

कमीशनिंग के पश्‍चात, यह परियोजना पहले वर्ष में लगभग 2455 मि.यू. विद्युत उत्‍पादन करेगी और 25 वर्षों की अवधि में लगभग 56838 मि.यू. का विद्युत उत्पादन करेगी।

इस परियोजना की कमीशनिंग से 25 वर्ष में लगभग 27,85,077 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आने की उम्मीद है। यह परियोजना मई, 2024 तक कमीशन की जानी है।

नन्‍द लाल शर्मा ने कहा कि, “कंपनी के पोर्टफोलियो में हाल ही में उत्‍तरोत्‍तर अर्जित नई नवीकरणीय परियोजनाएं राष्ट्र को अपनी गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा और अर्थव्यवस्था के डीकार्बोनाइजेशन के विस्तार हेतु सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

वर्तमान में, एसजेवीएन के पास लगभग 31,500 मेगावाट का कुल पोर्टफोलियो है और इसने पावर ट्रांसमिशन और पावर ट्रेडिंग में भी विवि‍धीकरण और प्रवेश किया है।

हाल ही में अर्जित परियोजनाएं एसजेवीएन के वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 25000 मेगावाट तथा वर्ष 2040 तक 50000 मेगावाट के साझा विजन को प्राप्‍त करने का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।

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