नेरवा, नोविता सूद। एसडीएम चौपाल की छवि उपमंडल चौपाल के लोगों में एक युवा नौजवान हरफनमौला अधिकारी के रूप में गहरी होती जा रही है। यह हरफनॉमौला अधिकारी चाहे अपनी प्रशासिनक कुर्सी पर हो या किसी मंच पर हर जगह लोग इनकी सादगी, कार्यकुशलता, मैनेजमेंट, नाटी एवम गायकी के मुरीद हो चुके हैं।
चेत सिंह की कार्यशैली और व्यवहार से प्रभावित अब तो लोगों का यहां तक कहना है कि चौपाल के भाग्य में इनके जैसा प्रशासनिक अधिकारी न तो पहले नसीब हुआ था और न ही भविष्य में होगा। चेत सिंह एक काबिल अधिकारी के साथ साथ उम्दा फनकार भी हैं।
इसकी एक झलक चौपाल समर फेस्टिवल की सांस्कृतिक संध्या में उस समय देखने को मिली जब उन्होंने पहाड़ी गाने गाकर दर्शकों सहित मेहमानों को भी झूमने पर मज़बूर कर दिया।
समर फेस्टिवल चौपाल के मंच पर एसडीएम साहब ने पहाड़ी गीत गाकर एक तरफ जहां ये संदेश दिया कि इंसान चाहे जितनी भी ऊंचाइयों पर क्यों न हो, उसे अपनी संस्कृति से हमेशा जुड़कर रहना चाहिए।
मंच पर एसडीएम चेत सिंह ने मेरी जानी रा बसेरा, गांवटू धारो पांडे र तेरा सहित दो अन्य पहाड़ी गीत गाकर पंडाल को तो मंत्रमुग्ध कर ही दिया, विधायक बलवीर वर्मा और अन्य मेहमानों को भी नाचने पर मजबूर कर दिया।
मिलनसार व्यक्तिगत के धनी एसडीएम चेत सिंह ने जब से चौपाल में कार्यभार संभाला है तब से लोग बिना हिचकिचाहट के उनके दफ्तर जाकर अपनी समस्या रखते है।
चेत सिंह स्वयं कहते है कि उनका कार्यालय एक अस्पताल की ओपीडी की तरह है। यदि कोई अपनी समस्या लेकर उनके पास आये तो बिना समस्या के हल के वो दफ्तर से बाहर नहीं जाएगा ठीक वैसे ही जैसे ओपीडी से बिना इलाज करवाये कोई मरीज नहीं लौटता।