जानें सर्दियों के लिए बल व पुष्टि का खजाना

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आज का हिन्दू पंचांग

दिनांक – 05 जनवरी 2022

दिन – बुधवार

विक्रम संवत – 2078

शक संवत -1943

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शिशिर

मास – पौस

पक्ष – शुक्ल

तिथि – तृतीया दोपहर 02:34 तक तत्पश्चात चतुर्थी

नक्षत्र – श्रवण सुबह 08:46 तक तत्पश्चात धनिष्ठा

योग – वज्र शाम 06:15 तक तत्पश्चात सिध्दि

राहुकाल – दोपहर 12:44 से दोपहर 02:06 तक

सूर्योदय – 07:18

सूर्यास्त – 18:09

दिशाशूल – उत्तर दिशा में

विशेष

तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

घर का मुखिया

घर का मुखिया अगर दक्षिण-पश्चिम के कमरे में रहता हो तो घर सुखी रहता है।

सर्दियों के लिए बल व पुष्टि का खजाना

रात को भिगोयी हुई १ चम्मच उड़द की दाल सुबह महीन पीसकर उसमें २ चम्मच शुद्ध शहद मिलाके चाटें। १ – १.३० घंटे बाद मिश्रीयुक्त दूध पियें। पूरी सर्दी यह प्रयोग करने से शरीर बलिष्ठ और सुडौल बनता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है।

दूध के साथ शतावरी का २ – ३ ग्राम चूर्ण लेने से दुबले-पतले व्यक्ति, विशेषत: महिलाएँ कुछ ही दिनों में पुष्ट जो जाती हैं। यह चूर्ण स्नायु संस्थान को भी शक्ति देता हैं।

रात को भिगोयी हुई ५ – ७ खजूर सुबह खाकर दूध पीना या सिंघाड़े का देशी घी में बना हलवा खाना शरीर के लिए पुष्टिकारक है।

रोज रात को सोते समय भुनी हुई सौंफ खाकर पानी पीने से दिमाग तथा आँखों की कमजोरी में लाभ होता है।

आँवला चूर्ण, घी तथा शहद समान मात्रा में मिलाकर रख लें। रोज सुबह एक चम्मच खाने से शरीर का बल, नेत्रज्योति, वीर्य तथा कांति में वृद्धि होती है। हड्डियाँ मजबूत बनती हैं।

१०० ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को २० ग्राम घी में मिलाकर मिट्टी के पात्र में रख दें। सुबह ३ ग्राम चूर्ण दूध के साथ नियमित लेने से कुछ ही दिनों में बल-वीर्य की वृद्धि होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है।

शक्तिवर्धक खीर :

३ चम्मच गेहूँ का दलिया व २ चम्मच खसखस रात को पानी में भिगो दें। प्रात: इसमें दूध और मिश्री डालकर पकायें। आवश्यकता अनुसार मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं। यह खीर शक्तिवर्धक है।

हड्डी जोडनेवाला हलवा :

गेहूँ के आटे में गुड व ५ ग्राम बला चूर्ण डाल के बनाया गया हलवा (शीरा) खाने से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है। दर्द में भी आराम होता है।

सर्दियों में हरी अथवा सूखी मेथी का सेवन करने से शरीर के ८० प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है।

सब प्रकार के उदर-रोगों में मट्ठे और देशी गाय के मूत्र का सेवन अति लाभदायक है। (गोमूत्र न मिल पाये तो गोझरण अर्क का उपयोग कर सकते हैं।

नारियल के पानी से वायु होता हो तो नारियल का पानी गुनगुना करके पियो, उसमें जरा-सा नमक व जरा-सा कालीमिर्च का पाऊडर मिला के लें। वो नारियल का वायु काट देगा।

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