आज का पंचांग
दिनांक 14 अगस्त 2021
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी सुबह 11:50 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – चित्रा सुबह 06:56 तक तत्पश्चात स्वाती
योग – शुभ दोपहर 11:13 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल – सुबह 09:30 से सुबह 11:07 तक
सूर्योदय – 06:18
सूर्यास्त – 19:08
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
आज का पंचांग
विशेष –
षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।
चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।
चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय
15 अगस्त रविवार को (सूर्योदय से सुबह 9:52 तक) रविवारी सप्तमी है।
रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें ।
सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ।
ये मंत्र बोलें:
जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।
मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि
सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।
इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।
रविवार सप्तमी
रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता है
रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं।
अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे।
इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये।
सूर्य भगवान पूजन विधि
१) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें।
२) जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड, लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्र
1. ॐ मित्राय नमः।
2. ॐ रवये नमः।
3. ॐ सूर्याय नमः।
4. ॐ भानवे नमः।
5. ॐ खगाय नमः।
6. ॐ पूष्णे नमः।
7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
8. ॐ मरीचये नमः।
9. ॐ आदित्याय नमः।
10. ॐ सवित्रे नमः।
11. ॐ अर्काय नमः।
12. ॐ भास्कराय नमः।
13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।