शिमला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज मंडी जिला के कमांद में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दौरा किया।
इस अवसर पर संस्थान के फेकल्टी से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आज हमें समाज की आवश्यकता के अनुरूप तकनीक उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन एक गंभीर समस्या है और हिमाचल में इसके कारण हर वर्ष करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए ऐसी तकनीक विकसित की जानी चाहिए जिससे इस समस्या का स्थायी समाधान मिले।
उन्होंने इस दिशा में पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने के लिए आईआईटी मंडी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि तकनीक को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि वन विभाग और राज्य के अन्य संबंधित विभागों को इस दिशा में आईआईटी मंडी के साथ समन्वय स्थापित कर कार्य करना चाहिए ताकि इस दिशा में सार्थक परिणाम हासिल किए जा सके।
स्कूल आफ इंजीनियरिंग के एमेरिटस प्रोफेसर एससी जैन ने राज्यपाल को सम्मानित किया। उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों और विभिन्न पहलो का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि आईआईटी मंडी अनुसंधान के अलावा समुदाय के साथ मिलकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वाह कर रहा है।
इससे पूर्व जिओ हजार्ड स्टडिंग ग्रुप की समन्वयक डाॅ कला वी उदय ने भूस्खलन प्रबंधन पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी दिया। उन्होंने भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के उपायों की भी जानकारी दी।
इसके उपरान्त राज्यपाल ने संस्थान के परिसर में पौधा रोपण भी किया।