परियोजना से प्रभावितों को फसलों, पशुओं, कृषि भूमि के नुकसान के लिए सरकार दे मुआवजा

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हिमाचल। 210 मेगावाट लूहरी पनविद्युत परियोजना से स्थानीय लोगों के मकानों, मवेशियों खासकर बकरियों और कृषि भूमि को हो रहे नुकसान के खिलाफ धरने पर बैठे स्थानीय पंचायतों के समर्थन में शुक्रवार को हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर, जिलाध्यक्ष सत्यवान पुंडीर, कसुंपटी किसान सभा के सचिव जयशिव ठाकुर और नौजवान सभा के राज्य कोषाध्यक्ष कपिल शर्मा 48 घंटे के धरने पर बैठे।

किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ज़मीन का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है। प्रदेश में कृषि भूमि पहले ही कम है वह भी सरकारों की गलत नीतियों के कारण विभिन्न परियोजनाओं की भेंट चढ़ रही है।

डॉ तंवर ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में ज़मीन कहीं फोर लेन, हवाई अड्डे, पनबिजली परियोजनाओं, सीमेंट फैक्ट्रियों के हवाले की जा रही है। किसानों को न तो ज़मीन का पर्याप्त मुआवजा दिया जा रहा है और न ही विस्थापितों का पुनर्वास किया जा रहा है।

डॉ. तंवर ने कहा कि आने वाले वक्त में हिमाचल प्रदेश में किसान आंदोलन और भूमि के सवाल पर बड़ा आंदोलन होगा।

वहीं डॉ. तंवर ने कहा कि परियोजना निर्माण में पर्यावरण नियमों की अवहेलना हो रही है जिस पर अगर सरकार और प्रशासन सख्ती से नज़र नहीं रखता है तो भविष्य में प्रदेश की आब-ओ-हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

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