शिमला। द माईनिंग एरिया लैंड लूजर सोसायटी के सदस्यों द्वारा अपनी मांगे पूरी ना होने के चलते चौथे दिन अंबुजा की कश्लोग और मांगू ग्याना माईनिंग का कार्य पूरी तरह से बंद किया है।
इस दौरान कई अन्य सभा के सदस्यों ने भी इस हड़ताल का समर्थन कर लोगों की मांगो को जल्द पूरा करने को लेकर जिलाधीश सोलन व प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी गुहार लगाई है।
चार दिनों से जारी इस हडताल का मामला अब मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंच गया है और इस संबंध में जल्द ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ भी बैठक हो जा रही है जिसके चलते हड़ताल पर बैठे किसानों और सोसायटी सदस्यों को जल्द अपनी मांगे पूरी होने की आश जगी है।
सभा के सदस्य और किसान देशराज ठाकुर, ईश्वर दत्त, जयदेव व राकेश व शीश राम का कहना है कि माल ढुलाई के साथ जुड़ा यह मामला बहुत की ज्वलंत है जिसका जल्द से जल्द समाधान नहीं निकला तो इससे ना केवल ट्रांसपोर्ट कार्य प्रभावित होगा बल्कि इससे भारी आर्थिक हानि भी उठानी पडेगी।
किसानों का कहना है कि जीवन भर उन्होंने कभी भी इस तरह से कोई आंदोलन कंपनी के खिलाफ नहीं किया हैं और अब भी वे तीन वर्षों से भी अधिक समय से जिला प्रशासन, एसडीएम अर्की के साथ लगातार अपनी मांगो को लेकर जरूरी कार्य निपटाते रहे।
हड़ताल पर बैठे इन किसानों का कहना है कि जब जिला प्रशासन और कंपनी प्रशासन ने उनकी समस्याओं को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया तो मजबूर होकर उन्हें हड़ताल पर जाना पड़ा जिसके लिए जिला प्रशासन और कंपनी प्रशासन जिम्मेदार है।
लोगों को कहना है कि यदि उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना गया होता आज इस तरह से उन्हें बैठने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता। ग्रामीण लोगों का कहना है कि अंबुजा कंपनी के माध्यम से पुलिस प्रशासन ने भी उनके खिलाफ कई धाराएं लगाकर एफआईआर दर्ज की है लेकिन वह अपने शौक के लिए यहां नहीं आए हैं।
उन्होंने अपने 22 बिंदुओं पर जल्द ध्यान देने और जल्द से जल्द ट्रांस्पोर्ट का कार्य आबंटित करने के लिए प्रदेश सरकार से भी गुहार लगाई है। लोगों का कहना है यदि फिर भी मांगो को जल्द पूरा नहीं किया जाता है तो आंदोलन और तेज किया जाएगा और अंबूजा की सभी पांच पंचायतों में जनजागरण अभियान भी चलाया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्र के किसानों और सभा के नए सदस्यों का कहना है कि तीन दशकों से लोग अंबूजा प्रशासन और सरकार से कई लंबित मांगो को पूरा करने के लिए लोग मांग उठाते रहे लेकिन आज तक सैंकड़ो लोगों की अनदेखी की गई।
कंपनी में जिन लोगों का दबदबा रहा उन्हें ही नौकरी व स्थायी रोजगार प्रदान किया गया जबकि सैंकडो किसानों को आज तक परिणाम भुगतने पड रहे हैं।