जानें क्यों जरूरी है सेब के पौधों के तनों में चूना लगाना

Spread with love

नेरवा, नोविता सूद। सेब के बगीचों में इन दिनों बागवानों को सेब के पौधों के तनों में चूना लगाना जरूरी है, ताकि तने को धूप से बचाया जा सके।

प्रगतिशील बागवान सूरत राम शर्मा के अनुसार जनवरी से लेकर मार्च तक तेज धूप में नीली किरणों का प्रभाव ज्यादा होने से सनबर्न की संभावना अधिक होती है।

वहीं, तने की खाल जलने से कैंकर रोग भी पनपता है। उन्होंने बताया कि यह प्रकोप उन बगीचों में ज्यादा होता है, जहां शाम के समय धूप अधिक पड़ती है।

पतझड़ के बाद धूप का सबसे ज्यादा प्रकोप तने पर पड़ता है। बोडों पेस्ट सफेद रंग का है। धूप नीली किरणों के प्रभाव को तने पर पड़ने से रोक देता है।

उन्होंने बताया कि पतझड़ के बाद पौधों को सनबर्न और कैंकर जैसी बीमारियों से बचाना बहुत जरूरी होता है।
तने की खाल जलने से कैंकर रोग पनपने का ख़तरा बना रहता है। इन रोगों के निदान के लिए पौधों पर बोडों पेस्ट लगाने कार्य समय पर करना चाहिए।

जनवरी महीने में चूना लगाने का सही समय है। सेब के पौधों को बचाने के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है। हालांकि कुछ बागवान मार्च में भी चूना पौधों पर लगाते हैं, जबकि सही समय जनवरी माह ही रहता है।

कैसे तैयार करें पेस्ट

प्रगतिशील बागवान सूरत राम शर्मा ने बताया कि दस लीटर बोर्डो पेस्ट बनाने के लिए तीन लीटर चुना और एक किलो नीला थोथा और 9 लीटर पानी में मिलाएं।

प्रत्येक पौधे की तने से लेकर टहनी निकलने वाले भाग तक की चूने नीले थोथे के घोल से पुताई करना लाजिमी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: