कृषि उत्पादों का गुणवत्ता युक्त होना आवश्यक, कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने केरल में वैगा-2023 कार्यक्रम को किया संबोधित

Spread with love

शिमला। कृषि मंत्री प्रो चंद्र कुमार ने केरल राज्य के तिरूवंतपुरम में ‘कृषि में आय अर्जन के लिए मूल्यवर्धन (वैगा-2023) विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि मूल्यवर्धन विभिन्न गतिविधियों की एक श्रृंखला है जो एक उत्पाद को खेत से उपभोक्ता तक लाने में शामिल होती है। इसमें उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन और वितरण जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि एक मूल्य श्रृंखला विकसित करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि किसानों को उनके उत्पादों के उचित दाम मिलें और उपभोक्ताओं की उच्च गुणवत्ता वाले, स्थानीय रूप से उगाए खाद्य पदार्थों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों और उद्यमियों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करके ग्रेडिंग और पैकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई पहल की हैं।

कृषि मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अनुकूल जलवायु, समृद्ध मृदा और प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। प्रदेश में अनाज, बेमौसमी सब्जियां, फल, दालें, बाजरा और विदेशी सब्जियों सहित विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन के लिए एक उपयुक्त परिवेश विद्यमान है।

राज्य देश में सेब और अन्य समशीतोष्ण फलों जैसे खुमानी, चेरी, आड़ू, नाशपाती के प्रमुख उत्पादकों में से एक है और इन समशीतोष्ण फलों विशेष रूप से सेब और अन्य बेमौसमी सब्जियों, टमाटर, लहसुन और अदरक के उत्पादन के कारण राष्ट्रीय बाजार में एक विशेष स्थान रखता है। हिमाचल प्रदेश मशरूम के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है।

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश, कांगड़ा घाटी में उगाई जाने वाली ‘कांगड़ा चाय’ के लिए भी प्रसिद्ध है। कांगड़ा चाय अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों और बेहतरीन स्वाद के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय है। यह वर्ष 2005 से भौगोलिक संकेतकों की प्रतिष्ठित सूची में भी शामिल है।

प्रदेश में मक्का की खेती व्यापक रूप से की जाती है।
हिमाचल प्रदेश बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। यहां विशेष रूप से टमाटर, लहसुन, अदरक, बाजरा, दालें, मिर्च, शिमला मिर्च, बीन्स, खीरे और लगभग सभी प्रकार की सब्जियां भी उगाई जाती हैं। राज्य में लगभग 18.50 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने लागत कम करने, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और उपभोक्ताओं के लिए रसायन मुक्त स्वस्थ खाद्यान्नों का उत्पादन करने के लिए वर्ष 2018 से प्राकृतिक खेती की पहल की।

वर्तमान में 9.97 लाख किसानों में से लगभग 1.5 लाख किसानों ने लगभग 16684 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती शुरू कर दी है और इसके उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम जैविक खेती को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार, राज्य में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए राज्य को ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, आदर्श भंडारण और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं के माध्यम से इन फसलों की गुणवत्ता स्वाद और पोषण मूल्य को बढ़ाकर मूल्यवर्धन पर ध्यान केन्द्रित कर रही है।

उन्होंने कहा कि शीघ्र खराब होने वाली उपज के लिए प्रशीतित वैन, आपूर्ति श्रृंखला और विपणन को मजबूत करने पर भी बल दिया जा रहा है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, सिक्किम के कृषि मंत्री लोक नाथ शर्मा, अरुणाचल प्रदेश के कृषि मंत्री तागे ताकी और देश के विभिन्न राज्यों के नेताओं ने भी कार्यक्रम में अपने विचार साझा किए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: