हिमाचल सरकार की किसान हितैषी योजनाओं से किसानों के जीवन में आ रही सम्पन्नता

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शिमला। कृषि हिमाचल की प्रगति का आधार है और यह क्षेत्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। प्रदेश सरकार किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए किसान हितैषी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर रही है। वर्तमान प्रदेश सरकार कृषि उत्पादन क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अनेक नवाचार प्रयास कर रही है।

हिमाचल में कृषि के समग्र विकास के लिए प्रदेश सरकार की नवीन पहल हिम उन्नति योजना के तहत कृषि और कृषि संबंधी गतिविधियों को चरणबद्ध तरीके से कलस्टर आधारित किया जा रहा है। योजना के तहत 2600 कलस्टर बनाए जाएंगे, जिसमें कृषि के 1200, प्राकृतिक खेती के 1100 और जाइका के 300 कलस्टर बनाए जाएंगे।

योजना के तहत इस वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये से कलस्टर संबंधित विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं।
किसानों, ग्रामीण युवाओं और कृषक महिलाओं को कृषि व्यवसाय से लाभान्वित करने के उद्देश्य से राज्य में कलस्टर आधारित सब्जी उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके।

मुख्यमंत्री कृषि संवर्धन योजना के तहत कलस्टर आधारित सब्जी उत्पाद, बीज, पौध और खाद के लिए उपदान और प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और पौध सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है।

फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सभी वर्गों के किसानों को अनाजों, दालों, तिलहन और चारा फसलों के बीजों पर 50 प्रतिशत अनुदान और आलू, अदरक व हल्दी के बीजों पर 25 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

वर्ष 2023-24 में अनुदान योजना के तहत प्रदेश के 60 हजार किसानों को बीज आवंटित कर लाभान्वित किया गया और इस वित्त वर्ष 23.60 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली बीज उपलब्ध करवाने के लिए कृषि विभाग विभिन्न फसलों के लगभग 17 हजार क्विंटल आधार बीज का वार्षिक उत्पादन कर रहा है, जिसे राज्य के प्रगतिशील किसानों द्वारा प्रमाणित बीज के रूप में आगे बढ़ाया जाता है।

कृषि की नवीन पद्धतियों को प्रयोगशाला से निकाल कर किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रदेश में प्रयोगशालाओं को मजबूत कर नवीन कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले।

कृषि विभाग द्वारा 11 मृदा, 3 उर्वरक, 3 बीज, 2 जैव नियंत्रण, एक राज्य कीटनाशक परीक्षण और एक जैव उर्वरक उत्पादन व गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला का संचालन किया जा रहा है। किसानों को बिना किसी विलम्ब खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस वित्त वर्ष 2 करोड़ 77 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

चारा कटर, मक्का और गेहूं थ्रेशर, ब्रश कटर, एसएस हल, एमबी हल जैसे यंत्र किसानों के श्रम को कम करने के साथ-साथ कृषि की उत्पादकता को भी बढ़ाते हैं। हिमाचल में किसानों को राज्य कृषि यंत्रीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस वित्त वर्ष में योजना के अंतर्गत 5 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सरकार के इन प्रयासों से आधुनिक यंत्रों और तकनीक पर किसानों का विश्वास बढ़ रहा है।

सिंचाई व्यवस्था कृषि गतिविधियों का महत्त्वपूर्ण अंग है। प्रदेश में ‘जल से कृषि को बल योजना’ के तहत विभिन्न स्थानों पर चैकडेम और तालाबों का निर्माण किया जा रहा है। इस योजना के मुख्य उद्देश्य किसानों की सिंचाई की समस्या को दूर करना है। किसानों के लिए लघु उठाऊ सिंचाई और बहाव सिंचाई योजनाएं बनाई जा रही हैं।

इस योजना के तहत इस वित्त वर्ष में 8 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में प्रवाह सिंचाई योजना के तहत कूल्हों के नवीनीकरण तथा सामुदायिक क्षेत्रों में कूल्हों को सुदृढ़ करने का कार्य किया जा रहा है। इस वित्त वर्ष में योजना के अंतर्गत आठ करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

प्रदेश में मुख्यमंत्री कृषि उत्पादन संरक्षण योजना के अंतर्गत बाड़बंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को सौर ऊर्जा चलित बाड़, इंटरलिंक चैन बाड़ इत्यादि लगाने के लिए 70 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर विशेष बल दे रहे है। प्रदेश सरकार के नवोन्मेषी प्रयासों से किसानों और ग्रामीण युवाओं को कृषि क्षेत्र में रोजगार व स्वरोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। कृषि क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण से हिमाचल आत्मनिर्भर प्रदेश बनने के पथ पर अग्रसर है।

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