आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक 29 सितम्बर 2021
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत -1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास -अश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार – भाद्रपद)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अष्टमी रात्रि 8:30 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – आर्द्रा रात्रि 11:26 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग – वरीयान् शाम 6:35 तक तत्पश्चात परिघ
राहुकाल – दोपहर 12:29 से दोपहर 1:59 तक
सूर्योदय – 6:30
सूर्यास्त – 18:27
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 8:30 तक), अष्टमी का श्राद्ध
विशेष –
अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
बुधवारी अष्टमी
29 सितम्बर 2021 बुधवार को (सूर्योदय से रात्रि 08:30 तक) बुधवारी अष्टमी है।
मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि
सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।
इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)*
पुष्य नक्षत्र योग
30 सितम्बर 2021 गुरुवार को (रात्रि 1:33 (अर्थात 1:33AM से 1 अक्टूबर सूर्योदय तक) गुरुपुष्यामृत योग है।
१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य हैं पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति। पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है।
उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये। ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोलें
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :। ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :।
कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में
बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।
रविपुष्यामृत योग
शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है। पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट- से- अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं।
‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य:।’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है। पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है।
इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं।