नेरवा, नोबिता सूद। ग्राम पंचायत धनत के दो गाँव कुमाहरला और गागलना के 47 परिवारों के 243 मतदाताओं ने आगामी विधानसभा चुनावों के बहिष्कार की घोषणा की है । इन लोगों का आरोप है क़ि आज़ादी के बाद प्रदेश में कई सरकारें आई और आकर चली गई, परन्तु किसी भी सरकार ने इन दो गाँव की आज तक कोई भी सुध नहीं ली है, जिस वजह से यहां के बाशिंदों को चुनाव के बहिष्कार जैसा कठोर निर्णय लेने को मज़बूर होना पड़ा है ।
कुमाहरला और गागलना के बाशिंदों परमा राम,जय लाल, दिनेश,हेमंत,प्रियतम,मेहर सिंह,हरी सिंह, दूलची राम, सोहन लाल,बेसू राम,गुलाब सिंह चरिया राम,भगत राम एवं रक्षा आदि ने बताया क़ि लोग बीस सालों से गाँव को सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं,परन्तु सरकारी अनदेखी के चलते कुमाहरला के लिए प्रस्तावित एम्बुलेंस मार्ग का सर्वे का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है जिस वजह से ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष के साथ साथ रोष भी है ।
गाँव के लोगों ने अपनी आर्थिकी बढ़ाने के लिए सेब के बागीचे भी लगाए हैं तथा कई परिवार टमाटर व अन्य नकदी सब्जिया भी उगाते हैं। गाँव तक कोई सुविधाजनक मार्ग न होने के चलते इन लोगों को अपने उत्पाद सड़क तक पंहुचाने के कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
कुमाहरला के किसान अपनी फसलों को पहले तो पीठ पर अथवा खच्चरों पर संपर्क मार्ग तक पँहुचाते हैं, तत्पश्चात वाहनों द्वारा इसे मंडियों तक पंहुचाया जाता है।
इस प्रक्रिया में ना केवल उत्पादों को मंडियों तक पंहुचाने में देरी हो जाती है अपितु आर्थिक नुक्सान भी उठाना पड़ता है। गाँव के पच्चास परिवारों के लिए एक प्राथमिक स्कूल के अलावा कोई भी सरकारी सुविधा नहीं है।
गाँव के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर एक डिस्पेंसरी तक नहीं है, जिस कारण यदि किसी को छोटी सी बिमारी के लिए एक गोली भी लेनी हो तो पहले चार किलोमीटर कांदल संपर्क मार्ग तक पैदल फिर ग्यारह किलोमीटर वाहन से सफर कर नेरवा जाना पड़ता है ।
यदि कोई व्यक्ति ज्यादा बीमार पड़ जाए तो उसे किल्टे में डाल इस पगडण्डी के रास्ते से मोटर मार्ग तक पंहुचाया जाता है । लिहाजा इन लोगों के लिए बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पंहुचाने में नाकों चने चबाने पड़ते हैं।
इस पगडण्डी के दोनों तरफ हजारों फ़ीट गहरी खाई है । बीते समय में कई लोग पगडण्डी से गिर कर घायल हो चुके हैं, जबकि दर्जनों पालतू पशु मौत के आगोश में समा चुके हैं। गाँव के लोगों को अपने घरों तक पंहुचने के लिए सगरौठी-कांदल संपर्क मार्ग से चार किलोमीटर खड़ी पगडण्डी से कठिन सफर करना पड़ता है।
आज़ादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी इस तरह का कठिन जीवन जीने को मज़बूर हो चुके कुमाहरला और गागलना के लोगों ने आखिरकार आक्रोश में आकर चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है।