आज का पंचांग
दिनांक 07 अगस्त 2021
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – आषाढ़)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – चतुर्दशी शाम 07:11 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र – पुनर्वसु सुबह 08:16 तक तत्पश्चात पुष्य
योग – सिद्धि रात्रि 12:38 तक तत्पश्चात व्यतिपात
राहुकाल – सुबह 09:29 से सुबह 11:07 तक
सूर्योदय – 06:15
सूर्यास्त – 19:12
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
विशेष –
चतुर्दशी और अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
पुष्य नक्षत्र योग
8 अगस्त 2021 रविवार को सूर्योदय से सुबह 09:19 तक रविपुष्यामृत योग है ।
१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति।
पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है।
उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये। ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :। ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :
कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में
बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।
व्यतिपात योग
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुए नाराज हुए।
उन्होंने चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये।
पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे। वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
विशेष ~
7 अगस्त रात्रि 12:39 से 8 अगस्त रात्रि 11:39 तक (यानी 8 अगस्त पूरा दिन) व्यतीपात योग है।