शिमला। शिमला नगर निगम चुनाव में भाजपा कांग्रेस जीत के दावे कर रही है और दोनों दलों के नेता एक दसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने शुरू हो गए हैं। खासकर शिमला स्मार्ट सिटी को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है और स्मार्ट सिटी के पैसे के दुरुपयोग करने के आरोप लगा रही है।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा ने जो 5 साल पहले नगर निगम चुनावों के दौरान वादे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया।
लोगों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय उन समस्याओं का बढ़ाने का काम ही भाजपा ने 5 साल तक किया है। 5 साल भाजपा नगर निगम में आपस में ही लड़ती रही है।
उन्होंने कहा कि पूर्व के कांग्रेस कार्यकाल के दौरान शिमला शहर और धर्मशाला को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया था पर 2017 में भाजपा सत्ता पर काबिज हुई।
शिमला शहर में स्मार्ट सिटी के तहत जो काम होने थे,।वह नहीं हुए। स्मार्ट सिटी को लेकर जो सपने संजोए थे उसे भाजपा ने पूरी तरह से बर्बाद किया। शिमला शहर में पार्किंग की जो पहले समस्या थी इन 5 सालों में समस्या को दूर करने के बजाय यह काफी बढ़ी है।
पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है। इसके अलावा सीवरेज की भी काफी समस्या थी लेकिन इन 5 सालों में भाजपा शासित नगर निगम और सरकार ने शहर में केवल डंगे लगाने और स्टील का स्ट्रक्चर खड़ा करने के अलावा कोई भी काम नहीं किया है।
अब शिमला की जनता ने मन बना लिया है कि विधानसभा की तरह नगर निगम में इन्हें बाहर का रास्ता दिखाएगी।
वहीं नरेश चौहान ने कहा कि भाजपा नगर निगम चुनावों से भागती रही। यह चुनाव विधानसभा चुनावों से पहले होने थे लेकिन भाजपा ने हार के डर से इन चुनावों को टालने की कोशिश की।
जैसे ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो शिमला नगर निगम के चुनाव करवाने का फैसला लिया गया और अब चुनाव हो रहे हैं। नामांकन भरे जा चुके हैं। कांग्रेस एकजुट होकर इन चुनावों में उतर रही है।
जो नाराज हुए हैं और आजाद नामांकन भरा है, उनसे भी बात की जा रही है और उन्हें जल्द मना लिया जाएगा।
नरेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने प्रदेश में 3 महीने में ही व्यवस्था परिवर्तन का आगाज कर दिया है। मुख्यमंत्री खुद भी शिमला नगर निगम के दो बार पार्षद रहे हैं और शिमला की समस्याओं के बारे में भली-भांति से परिचित हैं।
कांग्रेस सरकार शिमला शहर के विकास में कोई कमी नहीं आने देगी और जो भी वादे अपने घोषणापत्र में करेगी, उन्हें जमीनी स्तर पर भी उतारेगी।