छात्र अभिभावक मंच ने फिर दोहराई कानून व रेगुलेटरी कमीशन बनाने की मांग

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शिमला। छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीसों, किताबों एवं वर्दी की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के खिलाफ उच्चतर शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन के बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा निदेशक अमरजीत शर्मा से मिला व उन्हें एक मांग-पत्र सौंपा।

निदेशक ने आश्वासन दिया कि निजी स्कूलों में आम सभाएं आयोजित करने, पीटीए के गठन, आम सभाएं आयोजित करने, फीस बढ़ोतरी, किताबों एवम वर्दी की कीमतों में बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए तुरन्त आदेश जारी कर दिए जाएंगे। इस बाबत वह जल्द अधिसूचना जारी करेंगे।

उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों पर नकेल लगाने के लिए कानून व रेगुलेटरी कमीशन बनाने का प्रस्ताव वह जल्द सरकार को भेजेंगे। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा, विवेक कश्यप, बालक राम, बलबीर पराशर, रामप्रकाश, कपिल नेगी, प्रताप चंद,अमित कुमार, अंजू, पवन, संजय सामटा, देवराज, बॉबी, रवि, रोशन आदि मौजूद रहे।

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक विवेक कश्यप ने निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीसों, किताबों एवं वर्दी की कीमतों में भारी बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार से कानून व रेगुलेटरी कमीशन बनाने की मांग की है।

उन्होंने वर्ष 2023 में ड्रेस व किताबों की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि पर कड़ा आक्रोश ज़ाहिर किया है व इसे शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार की नाकामी करार दिया है। यह छात्रों व अभिभावकों की जेबों पर डाका डालने का कार्य है। यह मनमानी लूट व मुनाफाखोरी है।

बड़े निजी स्कूलों में एक वर्ष में निजी स्कूल प्रबंधन 18 से 30 लाख रुपये तक की कमीशनखोरी करते हैं। प्रत्येक छात्र की हज़ारों रुपये की किताबों व वर्दी में मिलने वाली छूट से अभिभावकों को वंचित करके यह राशि निजी स्कूल प्रबंधनों को कमीशन के रूप में दी जाती है।

यह एनसीईआरटी, एससीईआरटी, सीबीएसई व एमएचआरडी गाइडलाइनज़ का उल्लंघन है।

अभिभावकों से निजी स्कूल प्रबंधन सीधी लूट कर रहे हैं परन्तु शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार मौन हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर कानून पर सरकार ने सकारात्मक रुख न अपनाया तो निजी स्कूलों से प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग की मिलीभगत के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच मोर्चा खोलेगा।

उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से अपील की है कि वह निजी स्कूलों पर नकेल लगाने के लिए कानून को अमलीजामा पहनाने की पहलकदमी करें ताकि प्रदेश के सात लाख छात्रों व दस लाख अभिभावकों को न्याय मिल सके। उन्होंने कहा है कि विभिन्न प्रदेश सरकारों की नाकामी व मिलीभगत के कारण ही निजी स्कूल लगातार मनमानी करते रहे हैं।

कोरोना काल में भी निजी स्कूल टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज़, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयरज़, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्जेज़ वसूलते रहे हैं।

निजी स्कूलों ने बड़ी चतुराई से वर्ष 2022 में कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से को टयूशन फीस में बदल कर लूट को बदस्तूर जारी रखा है। सरकार की नाकामी के कारण ही छात्रों की फीस में पिछले दो वर्षों में पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है व इस बढ़ोतरी पर सरकार मौन है।

उन्होंने कहा है कि फीस वसूली के मामले पर वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय व 5 दिसम्बर 2019 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं व इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग के दिशानिर्देश के बावजूद भी 99 प्रतिशत स्कूलों में पीटीए का गठन नहीं हुआ है। इस पर प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग दोनों खामोश हैं।

निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी।

उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस, पाठयक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरन्त कानून बनाए व रेगुलेटरी कमीशन का गठन करे।

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