सोलह लाख लोगों को राहत प्रदान करे सरकार
शिमला। छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों की फीस, प्रवेश प्रक्रिया व पाठयक्रम को संचालित करने के लिए कानून बनाने, रेगुलेटरी कमीशन गठित करने, टयूशन फीस के साथ एनुअल चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाने, ड्रेस, किताबों व कार्यक्रमों के नाम पर ठगी रोकने आदि मुद्दों पर कानून बनाने पर कैबिनेट बैठक में यू टर्न लेने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
कैबिनेट बैठक में इस मसले को टालने से स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए कानून लाने के लिए इच्छुक नहीं है व वह निजी स्कूलों का संरक्षण कर रही है।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कानून बनाने की प्रक्रिया को टालने से स्पष्ट हो गया है कि सरकार निजी स्कूलों का संरक्षण कर रही है।
वह इनकी मनमानी व लूट पर रोक नहीं लगाना चाहती है। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने वर्तमान बजट सत्र में निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए कानून न लाया तो निर्णायक आंदोलन होगा।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह निजी स्कूलों की टयूशन फीस के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के चार्जेज़ पर रोक लगाने की अधिसूचना तुरन्त जारी करे।
उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वर्ष 2021 में किसी भी निजी स्कूल को फीस बढ़ोतरी की इज़ाज़त न दी जाए। उन्होंने सरकार को चेताया है कि अगर उन्होंने निजी स्कूलों की वर्ष 2020 की फीस बढ़ोतरी, एनुअल चार्जेज़, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, स्पोर्ट्स फंड, ट्रांसपोर्ट चार्जेज़, मिसलीनियस, केयर व अन्य चार्जेज़ की वसूली पर रोक न लगाई व इन्हें सम्माहित न किया तो प्रदेशभर में आंदोलन तेज होगा।
उन्होंने प्रदेश सरकार से निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छः लाख छात्रों के दस लाख अभिभावकों सहित कुल सोलह लाख लोगों को राहत प्रदान करने की मांग की है।