शिमला। लगभग चार दशकों से अधिक के लंबे इंतजार के बाद नगर एवं ग्राम योजना विभाग द्वारा शिमला के लिए विकास योजना तैयार की गई है ताकि शिमला और इसके आसपास के उप नगरीय क्षेत्रों का विनियमित और योजनाबद्ध विकास सुनिश्चित किया जा सके।
यह विकास योजना शिमला की आदर्श पर्यटन गंतव्य क्षमता, जीवंत वातावरण , प्राकृतिक पारिस्थितिकी तथा वर्ष 2041 तक भविष्य की जनसंख्या के साथ-साथ अस्थायी आबादी को समायोजित करने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार की उप-योजना अम्रुत के तहत तैयार की गई है।
प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए कृतसंकल्प है और इस दिशा में अनेक महत्त्वाकांक्षी कदम उठाए जा रहे हैं। वर्तमान राज्य सरकार सम्पूर्ण प्रदेश और शिमला योजना क्षेत्र के हरित आवरण के संरक्षण और यहां की पारिस्थितिकी के दृष्टिगत सतत् विकास पर विशेष ध्यान केन्द्रित कर रही है।
प्रदेश सरकार शिमला में नवबहार से रामचन्द्र चौक से मच्छीवाली कोठी से क्राइस्ट चर्च से लक्कड़ बाजार से आईजीएमसी से संजौली चौक से नवबहार तक सड़क से घिरे ग्रीन बेल्ट क्षेत्र कड़े नियमों और नियंत्रित ढंग से सीमित निर्माण को अनुमति देने पर विचार कर रही है।
इसके दृष्टिगत ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में स्थित किसी भी ग्रीन प्लॉट में यदि एक भी जीवित या सूखा पेड़ खड़ा होगा तो उस प्लाट पर निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह प्रावधान शिमला शहर की समृद्ध पारिस्थितिकी और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में दूरगामी भूमिका निभाएगा।
राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इस मानसून के दौरान हुई भारी बारिश और उसके बाद आई आपदा को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अत्यधिक वर्षा जल की तत्काल निकासी के लिए सभी शहरी केन्द्रों और ग्रामीण नगरों के लिए चरणबद्ध तरीके से एक प्रभावी एवं कुशल जल निकासी मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा।
सरकार ने शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ योजना और विशेष क्षेत्रों में सभी भवनों के लिए नींव स्तर पर निरीक्षण का अनिवार्य प्रावधान करने का भी प्रस्ताव कर रही है।
इसके अलावा, उच्च जोखिम वाली इमारतों, विशेष रूप से आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, रियल एस्टेट परियोजनाओं और संस्थागत परियोजनाओं के लिए, अनुमोदन के समय भूवैज्ञानिक जांच रिपोर्ट के साथ-साथ बीआईएस कोड के अनुसार विस्तृत संरचनात्मक डिजाइन रिपोर्ट को अनिवार्य बनाया जा रहा है।
ये आवश्यक प्रावधान सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को भविष्य में किसी भी प्रकार की आपदा से बचाव में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होंगे।