नेरवा, नोविता सूद। नेरवा तहसील की ग्राम पंचायत थरोच, मधाना, पौड़िया, पंडराडा, मुंडली एवं कुताह में आसमान से बरसी आफत ने बागवानों के सपने धराशाई कर डाले हैं।
इस क्षेत्र में सोमवार देर शाम करीब छह बजे आसमान में काले बादल छाने से पूरा क्षेत्र अँधेरे में डूब गया और इसके साथ ही भारी ओलावृष्टि शुरू हो गई। पैंतालीस मिनट तक आसमान से आफत बरसने के बाद पूरी जमीन सफ़ेद होने से हिमपात जैसा नजारा बन गया था।
यह ओलावृष्टि इतनी भयंकर थी कि इससे सेब की फसल तो पूरी तरह नष्ट हो गई साथ ही पौधों के बीमें और टहनिया टूटने से अगले साल की फसल पर भी संकट के बादल मंडरा गए है। स्थानीय बागवान बीरबल झगटा, भूपिंदर झगटा, रीटू मिरजाईक एवं मीरा झिंटा ने बताया कि कई जगह तो पच्चास एमएम तक ओले गिरे हैं।
यही नहीं इस भारी ओलावृष्टि से बागवानों द्वारा बागीचों में की गई सेब की नई प्लांटेशन भी पूरी तरह बर्बाद हो गई है। उधर देइया और नेरवा-चंदलोग पंचायत में भी ओलावृष्टि से सेब की फसल को व्यापक नुक्सान होने की सूचना है।
देइया और रिन्जट के बागवान उदय हेटा एवं राजन छाजटा ने बताया कि नेरवा के रिन्जट और देइया पंचायत के भोलाला, घाला, भढ़ेईला और कटाह में भी ओलावृष्टि से सेब की फसल को व्यापक क्षति पंहुची है। बागवानों को इस साल मौसम की दोहरी मार झेलनी पडी है।
पहले तो दिसंबर जनवरी में पर्याप्त बारिश व बर्फवारी न होने से कम फसल की संभावना थी। इसके बाद फ्लॉवरिंग के समय मार्च से जून माह तक बेमौसमी बारिश ने फसल का संतुलन बिगाड़ कर रख दिया था।
जो थोड़ी बहुत फसल लगी थी, उससे बागवानों को बागीचों में होने वाला खर्च निकल जाने की आशा थी, परन्तु सोमवार को हुई भारी ओलावृष्टि ने उनकी यह उम्मीद भी तोड़ कर रख दी है।
बागवानों ने सरकार से गुहार लगाईं है कि ओलावृष्टि से सेब की फसल को हुए नुक्सान का आकलन कर उन्हें मुआवजा प्रदान किया जाए।