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दिन – बुधवार

विक्रम संवत – 2078

शक संवत -1943

अयन – उत्तरायण

ऋतु – शिशिर

मास – माघ

पक्ष – शुक्ल

तिथि – अष्टमी सुबह 08:32 तक तत्पश्चात नवमी

नक्षत्र – कृत्तिका रात्रि 12:23 तक तत्पश्चात रोहिणी

योग – ब्रह्म शाम 05:52 तक तत्पश्चात इन्द्र

राहुकाल – दोपहर 12:53 से दोपहर 02:18 तक

सूर्योदय – 07:13

सूर्यास्त – 18:32

दिशाशूल – उत्तर दिशा में

व्रत पर्व विवरण – बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से सुबह 08:32) तक

विशेष

अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

अस्थिरोग

जिनकी अस्थियाँ जकड गयी हो, टूट गयी हों, टेडी-मेढ़ी हो गयी हों अथवा जिनकी अस्थियों में पीड़ा होती हो, उनके लिए शीत ऋतू में लहसुन का उचित मात्रा में सेवन बहुत लाभदायी है।

लहसुन के छिलके उतारकर रात को खट्टी छाछ में भिघोकर रखें।

सुबह धोके पीसकर रस निकालें l १ से ४ ग्राम रस में उतना ही तिल का तेल अथवा घी मिलाकर पियें।

आहार सात्विक, सुपाच्य लें।

सावधानी : लहसुन तामसी होने के कारण रुग्णावस्था में भी इसका सेवन औषधवत करना चाहिए।

भूत-प्रेत भागाने के लिए

भूत-पिशाच जहाँ रहते हैं, वहां गाय खड़ी कर दो, गाय की सुगंध से भूत अपने आप भागेंगे। किसी के घर में भूत-प्रेत का वास हो, तो गाय का गोबर अथवा गाय का झरण छिटका करो।

गाय का कंडा जलाओ, उस पे थोड़ा गाय का घी डाल दो, अपने आप भागेंगे, भगाना नहीं पड़ेगा।

अगर किसी व्यक्ति के अंदर भूत घुसे हैं तो उसे उसी धूप वाले कमरे में बिठाओ, भूत भाग जायेंगे।

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