आज का हिन्दू पंचांग, जानें क्या है दर्श हरियाली अमावस्या का महत्व

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दिनांक – 27 जुलाई 2022

दिन – बुधवार

विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)

शक संवत -1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – वर्षा ऋतु

मास -श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार आषाढ़)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – चतुर्दशी रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात अमावस्या

नक्षत्र – पुनर्वसु पूर्ण रात्रि तक

योग – हर्षण शाम 05:07 तक तत्पश्चात वज्र

राहुकाल – दोपहर 12:45 से दोपहर 02:24 तक

सूर्योदय – 06:11

सूर्यास्त – 19:18

दिशाशूल – उत्तर दिशा में

विशेष –

चतुर्दशी और अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए

28 जुलाई 2022 गुरुवार को दर्श – हरियाली अमावस्या है ।

घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं।

धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए

हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।

सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।

विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।

पुष्य नक्षत्र योग

28 जुलाई 2022 गुरुवार को सुबह 07:05 से 29 जुलाई सूर्योदय तक गुरुपुष्यामृत योग है।

१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति।

पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है। उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये। ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –

ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : . ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :।

कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में

बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।

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