आज का हिन्दू पंचांग, जानें गुरुपुष्यामृत योग का महत्त्व

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दिनांक – 28 जुलाई 2022

दिन – गुरुवार

विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)

शक संवत -1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – वर्षा ऋतु

मास -श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार आषाढ़)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – अमावस्या रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा

नक्षत्र – पुनर्वसु सुबह 07:04 तक तत्पश्चात पुष्य

योग – वज्र शाम 05:57 तक तत्पश्चात सिद्धि

राहुकाल – दोपहर 02:24 से शाम 04:02 तक

सूर्योदय – 06:11

सूर्यास्त – 19:18

दिशाशूल – दक्षिण दिशा में

व्रत पर्व विवरण – दर्श अमावस्या हरियाली अमावस्या, दिवासा- रात्रि जागरण गुरुपुष्यामृत योग (सुबह 07:05 से 29 जुलाई सूर्योदय तक)

विशेष – अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

अमावस्या विशेष

28 जुलाई 2022 गुरुवार को दर्श – हरियाली अमावस्या है।

जो व्यक्ति ‪अमावस्या‬ को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।

गुरुपुष्यामृत योग

28 जुलाई गुरुवार को सुबह 07:05 से 29 जुलाई सूर्योदय तक गुरुपुष्यामृत योग है।

शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है। पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट- से- अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं।

पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है।

इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं।

समृद्धि बढ़ाने के लिए

कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी।

दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें , जो भी समस्या है हल हो जायेगी।

अमावस्या

अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)।

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