दिनांक – 23 नवंबर 2022
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – मार्गशीर्ष् (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार कार्तिक)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – चतुर्दशी सुबह 06;53 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र – विशाखा रात्रि 09:37 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग – शोभन शाम 03:40 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहुकाल – दोपहर 12:25 से दोपहर 01:48 तक
सूर्योदय – 06:54
सूर्यास्त – 17:54
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण- दर्श अमावस्या
विशेष – अमावस्या और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।
समृद्धि बढ़ाने के लिए
कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी।
दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें, जो भी समस्या है हल हो जायेगी।