दिनांक – 19 नवंबर 2022
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – मार्गशीर्ष् (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार कार्तिक)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – दशमी सुबह 10:29 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी रात्रि 12:14 तक तत्पश्चात हस्त
योग – विष्कंभ रात्रि 12:26 तक तत्पश्चात प्रीति
राहुकाल – सुबह 09:38 से सुबह 11:01 तक
सूर्योदय – 06:52
सूर्यास्त – 17:55
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
एकादशी व्रत के लाभ
19 नवम्बर 2022 शनिवार सुबह 10:30 से 20 नवम्बर, रविवार को सुबह 10:41 तक एकादशी है।
विशेष – 20 नवम्बर, रविवार को एकादशी का व्रत उपवास रखें।
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ।
भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।
एकादशी के दिन करने योग्य
एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें।
विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें। अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।
एकादशी के दिन ये सावधानी रहे
महीने में 15-15 दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए।