आज का हिन्दू पंचांग, जानें शरद पूर्णिमा का महत्व

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दिनांक – 7 अक्टूबर 2022

दिन – शुक्रवार

विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)

शक संवत -1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद ॠतु

मास – अश्विन

पक्ष – शुक्ल

तिथि – द्वादशी सुबह 07:26 तक तत्पश्चात त्रयोदशी

नक्षत्र – शतभिषा शाम 06:17 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद

योग – गण्ड रात्रि 11:31 तक तत्पश्चात वृद्धि

राहुकाल – सुबह 10:58 से दोपहर 12:26 तक

सूर्योदय – 06:32

सूर्यास्त – 18:20

दिशाशूल – पश्चिम दिशा में

व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत त्रयोदशी क्षय तिथि

विशेष – द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

वास्तु शास्त्र

गुलाब, चंपा व चमेली के पौधे घर में लगाना अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे मानसिक तनाव व अवसाद में कमी आती है।

शरद पूर्णिमा

9 अक्टूबर 2022 रविवार को शरद पुर्णिमा है।

शरद पूर्णिमा रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध – चावल की खीर का सेवन पित्तशामक व स्वास्थ्यवर्धक है। इस रात को सुई में धागा पिरोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।

शरद पूर्णिमा पर अध्यात्मिक उन्नति

शरद पूनम रात को आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है । इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए ।*

शरद पूनमः चन्द्र-दर्शन शुभ

इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक-आध मिनट आँखें पटपटाना।

कम-से-कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्तसंबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी।*

फिर छत पर या मैदान में विद्युत का कुचालक आसन बिछाकर लेटे-लेटे भी चंद्रमा को देख सकते हैं।*

जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें।*

इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।*

शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढँककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें।

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