दिनांक – 23 सितम्बर 2022
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – अश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार भाद्रपद)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – त्रयोदशी 24 सितम्बर रात्रि 02:30 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – मघा 24 सितम्बर रात्रि 03:51 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग – सिध्द सुबह 09:56 तक तत्पश्चात साध्य
राहुकाल – सुबह 11:00 से दोपहर 12:31 तक
सूर्योदय – 06:28
सूर्यास्त – 18:33
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
त्रयोदशी का श्राद्ध, मघा श्राद्ध, प्रदोष व्रत
विशेष –
त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कर्ज-मुक्ति के लिए मासिक शिवरात्रि
24 सितम्बर 2022 शनिवार को मासिक शिवरात्रि है।
हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते- करते ये 17 मंत्र बोलें, जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो, वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोले। इससे कर्जा से मुक्ति मिलेगी
⚜️ *1).ॐ शिवाय नम:*
⚜️ *2).ॐ सर्वात्मने नम:*
⚜️ *3).ॐ त्रिनेत्राय नम:*
⚜️ *4).ॐ हराय नम:*
⚜️ *5).ॐ इन्द्र्मुखाय नम:*
⚜️ *6).ॐ श्रीकंठाय नम:*
⚜️ *7).ॐ सद्योजाताय नम:*
⚜️ *8).ॐ वामदेवाय नम:*
⚜️ *9).ॐ अघोरह्र्द्याय नम:*
⚜️ *10).ॐ तत्पुरुषाय नम:*
⚜️ *11).ॐ ईशानाय नम:*
⚜️ *12).ॐ अनंतधर्माय नम:*
⚜️ *13).ॐ ज्ञानभूताय नम:*
⚜️ *14). ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:*
⚜️ *15).ॐ प्रधानाय नम:*
⚜️ *16).ॐ व्योमात्मने नम:*
⚜️ *17).ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:*
आर्थिक परेशानी से बचने हेतु
हर महीने में शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि – कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) को आती है, तो उस दिन जिसके घर में आर्थिक कष्ट रहते हैं वो शाम के समय या संध्या के समय जप-प्रार्थना करें एवं शिवमंदिर में दीप-दान करें।
रात को जब 12 बज जायें तो थोड़ी देर जाग कर जप और एक श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें तो आर्थिक परेशानी दूर हो जायेगी।
प्रति वर्ष में एक महाशिवरात्रि आती है और हर महीने में एक मासिक शिवरात्रि आती है। उस दिन शाम को बराबर सूर्यास्त हो रहा हो उस समय एक दिया पर पाँच लंबी बत्तियाँ अलग-अलग उस एक में हो शिवलिंग के आगे जला के रखना।
बैठ कर भगवान शिवजी के नाम का जप करना प्रार्थना करना। इससे व्यक्ति के सिर पे कर्जा हो तो जल्दी उतरता है, आर्थिक परेशानियाँ दूर होती है।
चतुर्दशी तिथि पर न करें श्राद्ध
24 सितम्बर 2022 शनिवार को आग – दुर्घटना – अस्त्र – शस्त्र – अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध
हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है । महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि इस तिथि पर केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो।
इस तिथि पर अकाल मृत्यु (हत्या, दुर्घटना, आत्महत्या आदि) से मरे पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ रहता है।
महाभारत के अनुसार पर्व अनुसार पितरों की मृत्यु स्वाभाविक रुप से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्धकर्ता विवादों में घिर जाता हैं। उन्हें शीघ्र ही लड़ाई में जाना पड़ता है। जवानी में उनके घर के सदस्यों की मृत्यु हो सकती है।
चतुर्दशी श्राद्ध के संबंध में ऐसा वर्णन कूर्मपुराण में भी मिलता है कि चतुर्दशी को श्राद्ध करने से अयोग्य संतान होती है।
याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार, भी चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। इस दिन श्राद्ध करने वाला विवादों में फस सकता है।
चतुर्दशी तिथि पर अकाल (हत्या), आत्महत्या (दुर्घटना), रुप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने का विधान है।
जिन पितरों की अकाल मृत्यु हुई हो व उनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं।