आज का हिन्दू पंचांग, जानें कैसे करें प्रदोष व्रत और पूजा

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दिनांक – 23 अगस्त 2022

दिन – मंगलवार

विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)

शक संवत -1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद

मास – भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – द्वादशी पूर्ण रात्रि तक

नक्षत्र – आर्द्रा सुबह 10:44 तक तत्पश्चात पुनर्वसु

योग – सिध्दि रात्रि 12:38 तक तत्पश्चात व्यतिपात

राहुकाल – शाम 03:52 से शाम 05:27 तक

सूर्योदय – 06:20

सूर्यास्त – 19:01

दिशाशूल – उत्तर दिशा में

व्रत पर्व विवरण – अजा एकादशी (भागवत ), मंगला गौरी पूजन, शरद ऋतु प्रारंभ, द्वादशी वृद्धि तिथि

विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।

आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है।

एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।

एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है। एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।

जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*

व्यतिपात योग

व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।

23 अगस्त 2022 मंगलवार को रात्रि 12:38 से 24 अगस्त बुधवार रात्रि 01:25 तक ( यानी 24 अगस्त, बुधवार को पूरा दिन) व्यतीपात योग है।

प्रदोष व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 24 अगस्त, बुधवार को प्रदोष व्रत है।

इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है।

ऐसे करें व्रत व पूजा

प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।

इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।

पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।

भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।

भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसी से अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।

ये उपाय करें

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं।

आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी हो सकता है।

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