आज है षट्तिला एकादशी, करें यह उपाय

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आज का हिन्दू पंचांग

दिनांक – 28 जनवरी 2022

दिन – शुक्रवार

विक्रम संवत – 2078

शक संवत -1943

अयन – उत्तरायण

ऋतु – शिशिर

मास – माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार – पौष)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – एकादशी रात्रि 11:35 तक तत्पश्चात द्वादशी

नक्षत्र – जेष्ठा प्रातः 05:08 तक तत्पश्चात मूल

योग – ध्रुव रात्रि 09:41 तक तत्पश्चात व्याघात

राहुकाल – सुबह 11:28 से दोपहर 12:52 तक

सूर्योदय – 07:18

सूर्यास्त – 18:25

दिशाशूल – पश्चिम दिशा में

व्रत पर्व विवरण –

षटतिला एकादशी

विशेष

हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।

आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है।

एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।

एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है। एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।

जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का उपयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

षट्तिला एकादशी

28 जनवरी 2022 रात्रि 02:17 AM से 28 जनवरी रात्रि 11:35 PM तक (यानी 28 जनवरी, शुक्रवार को पुरा दिन) एकादशी है।

विशेष – 28 जनवरी, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें।

इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन तिल का उपयोग 6 कामों में करने का विधान है। ये 6 काम इस प्रकार हैं-

तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की।
*तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।

अर्थात-

इस दिन तिलों के जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिले जल को पीने, तिल का भोजन तथा तिल का दान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है।

तिल का इन 6 कामों में करें उपयोग, होंगे ये फायदे

तिल मिले जल से स्नान

ठंड के मौसम में त्वचा रुखी हो जाती है। तिल मिले पानी से स्नान करने से त्वचा चमकदार व कोमल हो जाती है।

तिल का उबटन

तिल का उबटन लगाने से त्वचा संबंधी रोग अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं।

तिल मिला जल पीना

तिल मिला पानी पीने से पाचन तंत्र व्यवस्थित होता है। अनिद्रा में भी राहत मिलती है।

तिल का भोजन

ठंड के मौसम में तिल से बनी चीजें खाने से शरीर को पर्याप्त गर्मी व ऊर्जा मिलती है।

तिल का दान

तिल का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु अपने भक्त पर प्रसन्न होते हैं।

तिल का हवन

तिल का हवन करने पर वायुमंडल सुगंधित होता है।

विशेष – सूर्यास्त के बाद कोई भी तिलयुक्त पदार्थ नहीं खाना चाहिए।(मनु स्मृतिः 4.75)

षट्तिला एकादशी

षट्तिला एकादशी के दिन। स्नान, उबटन जिसमे जौ और तिल पड़ा हो। जौ डाला हुआ पानी पीना, तिल डाला हुआ पानी लेना, तिल मिश्रित भोजन करना, तिल का दान करना, तिल का होम करना ये पापनाशक प्रयोग है।

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