एकादशी व्रत का क्या है महत्व

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आज भूल कर भी क्या ना करें, देखें आज का पञ्चाङ्ग

आज का पंचांग

दिनांक 04 जुलाई 2021

दिन – रविवार

विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)

शक संवत – 1943

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – वर्षा

मास – आषाढ़ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – ज्येष्ठ)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – दशमी शाम 07:55 तक तत्पश्चात एकादशी

नक्षत्र – अश्विनी सुबह 09:06 तक तत्पश्चात भरणी

योग – सुकर्मा दोपहर 12:25 तक तत्पश्चात धृति

राहुकाल – शाम 05:44 से शाम 07:25 तक

सूर्योदय – 06:02

सूर्यास्त – 19:23

दिशाशूल – पश्चिम दिशा में

विशेष –

रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)।

रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)

रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)

स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।

एकादशी व्रत के लाभ

04 जुलाई रविवार को शाम 07:56 से 05 जुलाई, सोमवार को रात्रि 10:30 तक एकादशी है।

विशेष – 5 जुलाई, सोमवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।

एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है।

जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।

जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।

एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।

धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है।

कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।

परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ।

भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है।

एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।*

एकादशी के दिन करने योग्य

एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें। अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें, ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।

एकादशी के दिन ये सावधानी रखें

महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है।

लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सकें तब भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए।

एकादशी के दिन जो चावल खाता है, तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक-एक कीड़ा खाने का पाप लगता है।

ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा।

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