शिमला। राज्य सचिवालय में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की चौथी टास्क फोर्स बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई। बैठक में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की मौजूदा स्थिति और भविष्य की कार्ययोजना को लेकर चर्चा हुई।
मुख्य सचिव अनिल खाची ने परियोजना की अभी तक की प्रगति पर संतोष जताया और योजना से जुड़े अधिकारियों को प्राकृतिक खेती के विस्तार के प्रयास तेज करने के निर्देश दिए। इसके अलावा उन्होंने प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के उत्पादों के विपणन और प्रमाणीकरण का काम जल्द पूरा करने के आदेश दिए।
इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि निशा सिंह ने बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती तेज़ी से आगे बढ़ रही है। अभी तक प्रदेश की 3,026 पंचायतों में 1,20,882 से ज्यादा किसान-बागवानों ने इस विधि को अपना लिया है।
विशेष सचिव कृषि एवं प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने बताया कि पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी की बंदिशों के बावजूद 59 हजार से ज्यादा किसान इस विधि से जुड़े हैं।
प्रदेश भर में 11 हजार से अधिक किसान बागवान जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि एक विभागीय सर्वे के दौरान इस विधि से कृषि लागत में 56% कमी और किसान आय में 27% वृद्धि दर्ज की गई है। सेब बागवानी में भी इस विधि से आकस्मिक पतझड़ और स्कैब रोग के प्रकोप में कमी आई है।
समीक्षा बैठक में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने परियोजना को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया।
उन्होंने बताया कि बैठक में प्राकृतिक खेती से जुड़े विभिन्न विषयों के साथ प्रदेश में सतत खाद्य प्रणाली (सस्टेनेबल फूड सिस्टम) की शुरूआत करने को लेकर एवं प्राकृतिक खेती से बीज उत्पादन एवं गुणन को लेकर भेजे गए प्रस्ताव तथा उसके लिए संभावी कार्ययोजना पर चर्चा के बाद मुख्य सचिव ने अनुमति प्रदान की है।
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बनाई गई कार्ययोजना को भी मुख्य सचिव से स्वीकृति मिली है।