हमीरपुर। 10 साल में 6 लाख से ज्यादा फर्जी डिग्रीयां बेचने वाली मानव भारती यूनिवर्सिटी के खिलाफ प्रदेश सरकार सख्त कार्रवाई किस मजबूरी में नहीं कर पा रही है। यह सवाल भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली बीजेपी सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहा है। ऐसे कौन से कारण हैं जिन्होंने सरकार के मुंह पर इस मामले में पट्टी बांध रखी है।
यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल से शुरु हुआ इस शिक्षा माफिया सरगना का साम्राज्य कई राज्यों से होता हुआ राजस्थान तक पसरा है।
सवाल यह भी उठता है कि जब 2009 में बीजेपी सरकार ने यूनिवर्सिटी की जमीन संबंधी औपचारिकताएं पूरी न होने के बावजूद भी इस यूनिवर्सिटी को विधानसभा में अप्रूव्ल क्यों और किस कारण से दी थी? क्योंकि तब इस माफिया सरगना के खिलाफ प्रदेश और प्रदेश से बाहर कई राज्यों में एफआईआर दर्ज थी, जो कि इसकी अपराधिक पृष्ठभूमि पर सवाल बनी हुई थी।
एफआईआर होने व जमीनी औपचारिकता पूरी न होने के बावजूद इस माफिया सरगना को विधानसभा में यूनिवर्सिटी की अपू्रव्ल देना तत्कालीन सरकार की कारगुजारी पर भी शक और प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। अब हिमाचल में इस यूनिवर्सिटी के करोड़ों के फर्जीवाड़े के खिलाफ जांच के नाम करोड़ों के हाथ रंगने वाला इंक्वायरी सिस्टम भी आरोपों के घेरे में है।
बिना नाम के 45 हजार से ज्यादा डिग्रीयां शिक्षा माफिया के राजस्थान स्थित साम्राज्य में मिली चुकी हैं। जिनमें 15 हजार से ज्यादा डिग्रीयां जिनका इस यूनिवर्सिटी व इसके कॉलेजों से कुछ लेना-देना नहीं था, जिनका इस यूनिवर्सिटी या इस से संबंधित कॉलेजों में कोर्स तक नहीं करवाया जा रहा था, ऐसी डिग्रीयां भी बरामद हुई हैं।
इसके अतिरिक्त बिना लिखी अंसर शीट जिन पर नंबर तक लगाए गए थे, बरामद हुई हैं। राणा ने कहा कि सवाल यह उठता है कि बीजेपी के राज में शुरु हुए शिक्षा माफिया इस फर्जीवाड़े का क्रम अब दोबारा बीजेपी सरकार के कार्याकाल में जांच पर जा पहुंचा है, लेकिन सरकार तब भी खामोश थी और सरकार अब भी खामोश है।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार इस प्रदेश में घटे बड़े फर्जीवाड़े में अपने कुछ ऐसे लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है जिनका संबंध प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में इस शिक्षा माफिया से चर्चाओं में है।
जांच में लगे उस अधिकारी को तो सरकार संरक्षण नहीं दे रही है जिस पर जांच में करोड़ों का गोलमाल करने का आरोप है। निजी यूनिवर्सिटी शिक्षा माफिया सरगना के खातों से जांच के दौरान निकला करोड़ों रुपया कहां गया, किसको गया इसकी भी खूब चर्चा प्रदेश में हो रही है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार का इससे कुछ लेना-देना नहीं है तो सरकार आगे बढ़ कर इस मामले की सीबीआई से जांच क्यों नहीं करवा रही है। यह सवाल भी लगातार शक और संदेह पैदा कर रहा है।