शिमला। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जगदीश शर्मा ने राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को अपने बागीचे के सेब भेंट किए, जिसे सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि प्रणाली के अनुरूप विकसित किया गया है।
इस अवसर पर शर्मा ने राज्यपाल को अपनी भूमि में उच्च घनत्व वाले बाग विकसित करने के लाभ और तरीके से अवगत कराया। आज उनके डेढ़ हेक्टेयर भूमि में 1400 सेब के उच्च घनत्व वाले पौधे हैं।
उन्होंने केवल 38 पौधों के साथ प्राकृतिक खेती शुरू की थी और इस पर प्रति हेक्टेयर लगभग 4.38 लाख खर्च किया था जो अब यह घटकर केवल 50 हजार प्रति हेक्टेयर रह गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में यह कम लागत वाला निवेश होगा।
प्राकृतिक खेती अपना कर उत्पादन की लागत तेजी से घट रही है जबकि उत्पादकता कम नहीं हुई है। प्राकृतिक खेती से उत्पादित सेब की बाजार में प्रति बाॅक्स 3000 हजार से अधिक कीमत मिल रही है।
उन्होंने राज्य के किसानों को भारतीय नस्ल की गाय पालने और प्राकृतिक खेती को अपनाकर उच्च घनत्व वाले बागीचे में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया जैसा कि पश्चिम के सेब उत्पादक देशों में किया गया है।
उन्होंने कहा कि उन्हें बागवानी, पुष्प उत्पादन, रेशम उत्पादन और मशरूम उत्पादन का सरकारी कर्मचारी के रूप में अतीत का अनुभव है और उस अनुभव का लाभ उठाकर उन्होंने प्राकृतिक खेती पर आधारित सेब के बागीचे विकसित किए जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं।
राज्यपाल ने उनके प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रत्येक बागवान के लिए सफलता व प्रेरणा की कहानी है। उन्होंने कहा कि एक उच्च स्तर के अधिकारी का इस तरह से योगदान वास्तव में प्रेरणादायक है।
उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि 4800 से अधिक बागवानों ने राज्य में प्राकृतिक खेती को अपनाया है और 800 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सेब उत्पादन की प्राकृतिक खेती की जाती है। प्राकृतिक खेती को अपनाकर बागवानों की उत्पादन की लागत कम हो रही है। उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खेती प्रणाली को अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि बाजार में प्राकृतिक उत्पादों की काफी मांग है और राज्य सरकार भी इस खेती प्रणाली को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने राज्य में इस प्रणाली को प्रोत्साहन देने में एसपीएनएफ परियोजना के तहत अधिकारियों की टीम द्वारा किए गए कार्यों की भी सराहना की।