शिमला। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के प्रयासों की सराहना करते हुए कोरोना संक्रमितों के रिकवरी रेट 63.02% पहुँचने को केंद्र व राज्य के बीच बेहतर समन्वय का परिणाम बताया है।
अनुराग ठाकुर ने कहा ”आज पूरी दुनिया कोरोना आपदा से जूझ रही है और हर देश अपने स्तर पर इस महामारी से निपटने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं। भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना महामारी से लड़ाई को पूरी एकजुटता के साथ काफ़ी अच्छे से लड़ रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
आज भारत में कोरोना संक्रमितों का रिकवरी रेट बढ़कर 63.02% जा पहुँचा है। हमारे देश में कोरोना से होने वाली मृत्युदर 2.54% है जोकि विश्व में सबसे कम है। भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर मृतकों की संख्या सिर्फ़ 15 है जोकि दुनिया के बड़े विकसित देशों बेल्जियम 844, ब्रिटेन 660, स्पेन 607, स्वीडन 547 व अमेरिका 415 से काफ़ी कम है।
वहीं देश में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर सिर्फ़ 538 लोग कोरोना संक्रमित हैं। कुल 8 लाख 78 हज़ार कोरोना संक्रमितों में से 5 लाख 53 हज़ार संक्रमित पूरी तरह ठीक हो चुके हैं।भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व व नीतियों और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के प्रभावी प्रबंधन में कोरोना से निपटने में ठीक दिशा में आगे बढ़ रहा है।
केंद्र सरकार ने सही समय पर लॉकडाउन लगा कर कोरोना को वृहद स्तर पर फैलने पर लगाम लगाई है।केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय से हम कोरोना से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं”।
आगे बोलते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा ”कोरोना ने जब देश में दस्तक दी थी उस समय हमारे पास इसकी जाँच, रोकथाम व इलाज के लिए बहुत कम संसाधन मौजूद थे। आज पूरे देश में 1200 से ज़्यादा जाँच केंद्रों पर कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं।
पहले जहां देश में पीपीई और एन95 मास्क का उत्पादन नगण्य था आज हम प्रतिदिन 5 लाख से ज़्यादा पीपीई व एन 95 मास्क का उत्पादन कर रहे हैं।
पीएम केयर्स फंड के अंतर्गत मेड इन इंडिया के तहत 50 हजार वेंटिलेटर बनाए जा रहे हैं। अब तक 2923 वेंटिलेटरस् बन कर तैयार हो चुके हैं जिसमें से 1340 वेंटिलेटर राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को दिए जा चुके हैं।
इसके अतिरिक्त पीएम-केयर्स फंड का एक बड़ा हिस्सा प्रवासी मज़दूरों को इस आपदा से राहत पहुँचाने पर खर्च किया जा रहा है।