शिमला,1 जुलाई, 2020। कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने प्रदेश ने शिक्षा के नाम पर निजी स्कूलों की कथित मनमर्ज़ी पर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि उन्हें ऐसा लगता है कि प्रदेश में इन निजी शिक्षण संस्थानों को लोगों को लूटने की खुली छूट है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ यह शिक्षण संस्थान मोटी फ़ीस छात्रों से वसूल रहे हैं तो दूसरी तरफ अपने स्टाफ को पूरी तनख्वाह भी नहीं दे रहे हैं। प्रदेश में फर्जी डिग्री मामले सामने आने के बाद तो इनकी विश्वसनीयता पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है।
विक्रमादित्य सिंह ने आज पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि देश में कोरोना संकट के चलते पूरा देश अस्तव्यस्त हो गया है। शिक्षण संस्थान बंद पड़े हैं। कामकाज ठप पड़े है। बेरोजगारी बढ़ गई है। देश की अर्थव्यवस्था निम्न स्तर पर पहुंच गई है।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस सकंट के दौर में प्रदेश सरकार देश के बड़े उद्योगपतियों और प्राइवेट शिक्षा संस्थानों के हाथों कठपुतली बन कर खेल रही है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों से यह संस्थान पूरी तरह बंद पड़े हैं। ऐसा नही है कि इनमें पड़ने वाले छात्रों ने इनकी फीस न दी हो।
उन्होंने कहा कि यह संस्थान पहले ही एडवांस में फीस वसूल लेते हैं। इस समय जबकि प्रदेश सरकार एक तरफ इन संस्थानों से लॉक डाउन समय की फीस न लेने की बात कर रही है तो दूसरी ओर यह संस्थान अभिभावकों को फ़ीस के नोटिस भेज रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे स्पष्ट निर्देश जारी करने चाहिए कि उन्हें फीस देनी है या नहीं और अगर देनी भी है तो किस हिसाब से।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि फर्जी डिग्री मामले में शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल का नाम बदनाम हुआ है।उन्होंने कहा है कि पूर्व भाजपा शाशनकाल में प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों की एक बाढ़ सी आई।
विक्रमादित्य सिंह ने सरकार से मांग की है कि वह प्रदेश के लोगों को इस लूट से बचाए। उनका कहना है कि फर्जी डिग्री मामले की भी पूरी जांच की जानी चाहिए।